यूपी विधानसभा में तीसरे चरण के लिए 20 फरवरी को मतदान होना है। कानपुर की गल्लमंडी से पोलिंग पार्टियां रवाना की जा रही हैं। मतदान से पहले सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटे हैं।
सुमित शर्मा
कानपुर: यूपी विधानसभा 2022 (UP Vidhansabha 2022) में तीसरे चरण के लिए 20 फरवरी को मतदान होना है। कानपुर की गल्लमंडी से पोलिंग पार्टियां रवाना की जा रही हैं। मतदान से पहले सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। सभी पार्टियां बूथों को जीतने की तैयारियां बना रही हैं। प्रत्याशी अपने पक्ष में वोटिंग कराने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं। इसके लिए बूथों पर ऐसे प्रभावशाली चेहरे को बैठाने की योजना चल रही है, जो चर्चित हो और बात मतदाता भी काट सकें।
कानपुर में 10 विधानसभा सीटें है। विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी की लहर थी। बीजेपी ने 10 में से 07 सीटों पर शानदार दर्ज की थी। वहीं एसपी को दो और कांग्रेस पार्टी को एक सीट पर ही संतोष करना पड़ा था। कानपुर में लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी ने राज किया है। इसे कांग्रेस पार्टी का गढ़ भी कहा जाता था। लेकिन बदलते हालात के साथ कांग्रेस के हासिए पर चली गई।
01. बिल्हौर विधानसभा (209) सीट
कानपुर की बिल्हौर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस सीट पर एसपी, बीएसपी, कांग्रेस ने महिला प्रत्याशियों को उतारा है। वहीं बीजेपी ने राहुल बच्चा सोनकर को उतारा है। इसी सीट पर चारों प्रत्याशी एक दूसरे पर भारी पड़ रहे हैं। एसपी के रचना सिंह गौतम ने कोरोना काल में जो काम किया है, किसी भी प्रत्याशी ने नहीं किया है। वहीं कांग्रेस की ऊषारानी कोरी ने भी क्षेत्र में बहुत मेहनत की है। बीएसपी की मधु गौतम और बीजेपी के राहुल सोनकर बच्चा को पैराशूट प्रत्याशियों में गिनती हो रही है। विधानसभा चुनाव 2012 में समाजवादी से पार्टी से अरूणा कोरी ने जीत दर्ज की थी। वहीं 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के भगवती प्रसाद सागर ने शानदार जीत दर्ज की थी। बीजेपी के भगवती सागर ने एसपी ज्वॉइंन किया है।
02. बिठूर विधानसभा (210) सीट
कानपुर की बिठूर विधानसभा सीट क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी है। विधानसभा चुनाव 2012 में हुए परिसीमन के बाद बिठूर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी। बिठूर सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है। बीजेपी विधायक अभिजीत सिंह सांगा को एसपी के मुनींद्र शुक्ला और बीएसपी के रमेश यादव से कड़ी टक्कर मिल रही है। ब्राह्मण वोटर एसपी प्रत्याशी मुनींद्र शुक्ला तो ओबीसी और अनुसूचित जाति के वोटर बीएसपी के रमेश यादव के साथ नजर आ रहे हैं। विधानसभा चुनाव 2012 में समाजवादी के मुनींद्र शुक्ला ने जीत दर्ज की थी। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के अभिजीत सिंह सांगा ने एसपी के मुनींद्र शुक्ला को हरा कर शानदार जीत दर्ज की थी।
03. कल्यानपुर विधानसभा (211) सीट
कानपुर की कल्यानपुर विधानसभा सीट पहले कांग्रेसियों का गढ़ रही। इसके बाद इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा। बीजेपी की प्रेमलता कटियार लगातार चार बार विधायक रही हैं। प्रेमलता कटियार के बेटी नीलिमा कटियार कल्यानपुर से विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। बीजेपी की नीलिमा कटियार को एसपी के सतीश निगम कड़ी टक्कर दे रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने इस सीट पर ब्राह्मण कार्ड खेला है। कांग्रेस ने खुशी दुबे की बड़ी बहन नेहा तिवारी को मैदान में उतारा है। इस पर मुकाबला बड़ा ही दिलचस्प है। वहीं बीएसपी ने अरूण मिश्रा पर दांव लगाया है।
04. गोविंद नगर विधानसभा (212) सीट
गोविंद नगर विधानसभा सीट ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है। बीते दो विधानसभा चुनावों में इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है। 2012 से 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सत्यदेव पचौरी ने बड़ी जीत हासिल की थी। वहीं 2017 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद सत्यदेव पचौरी को प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया था। बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सत्यदेव पचौरी को प्रत्याशी बनाया था। सत्यदेव पचौरी ने कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय कोयला मंत्री को हराकर सांसद बने थे। सत्यदेव पचौरी के सांसद बनने के बाद गोविंद नगर सीट पर विधानसभा उपचुनाव हुए थे। जिसमें बीजेपी के सुरेंद्र मैथानी ने जीत दर्ज की थी। गोविंद नगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है। कांग्रेस की करिश्मा ठाकुर और बीजेपी विधायक सुरेंद्र मैथानी के बीच जबर्दस्त मुकाबला है। वहीं एसपी ने विकास सम्राट और बीएसपी ने अशोक कुमार कालिया को उतारा है।
05. सीसामऊ विधानसभा (213) सीट
कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट मुस्लिम बाहुल्य इलाका है। सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में 70 फीसदी मुस्लिम आबादी रहती है। इस सीट पर समाजवादी पार्टी का दबदबा है। एसपी के इरफान सोलंकी ने 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज की थी। सीसामऊ सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। एसपी विधायक इरफान सोलंकी को बीजेपी के पूर्व विधायक सलिल विश्नोई और कांग्रेस के हाजी सोहेल अहमद कड़ी टक्कर दे रहे हैं। वहीं इस सीट पर बीएसपी रजनीश तिवारी हिंदू वोट बैंक में सेंधमारी करने का काम कर रहे हैं।
06. आर्यनगर विधानसभा (214) सीट
आर्यनगर विधानसभा सीट जनरल सीट है। इस सीट को व्यापारियों की सीट भी कहा जाता है। आर्यनगर क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम वोटरों की मिलीजुली आबादी है। आर्यनगर विधानसभा सीट से 2012 में बीजेपी के सलिल विश्नोई विधायक थे। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के अमिताभ वाजपेई ने शानदार जीत दर्ज की थी। एसपी विधायक अमिताभ वाजपेई को बीजेपी के सुरेश अवस्थी और कांग्रेस के प्रमोद जायसवाल से टक्कर मिल रही है। वहीं बीएसपी डॉ आदित्य जायसवाल भी पीछे नहीं हैं।
07. किदवई नगर विधानसभा (215) सीट
किदवई नगर विधानसभा सीट ब्राह्मण बाहुल्य इलाका है। विधानसभा चुनाव 2012 से पहले हुए परिसीमन के बाद किदवई नगर विधानसभा अस्तित्व में आई थी। गोविंद नगर विधानसभा सीट को तोड़कर किदवई नगर विधानसभा सीट को बनाया गया था। विधानसभा चुनाव 2012 में कांग्रेस के अजय कपूर ने जीत दर्ज की थी। इससे पहले अजय कपूर गोविंद नगर विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके थे। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के महेश त्रिवेदी ने कांग्रेस के अजय कपूर को हरा कर कमल खिलाया था। किदवई नगर सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है। कांग्रेस के अजय कपूर और बीजेपी के महेश त्रिवेदी एक दूसरे के धुर विरोध हैं। वहीं एसपी के अभिमन्यू गुप्ता और बीएसपी के मोहन मिश्रा लड़ाई में नहीं हैं।
08. कैंट विधानसभा (216) सीट
कानपुर की कैंट विधानसभा सीट मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। कानपुर में सर्वाधिक मुस्लिम वोटर कैंट क्षेत्र में रहते हैं। मुस्लिम बाहुल्य सीट होने के बाद भी 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के रधुनंदन सिंह भदौरिया ने जीत दर्ज की थी। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सुहैल अंसारी ने शानदार जीत दर्ज की थी। विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस के सुहैल अंसारी को एसपी के मो हसन रूमी और बीजेपी के रघुनंदन सिंह भदौरिया से टक्कर मिल रही है। वहीं बीएसपी के मोहम्मद सफी भी टक्कर दे रहे हैं।
09. महाराजपुर विधानसभा (217) सीट
विधानसभा चुनाव 2012 में हुए परिसीमन के बाद महाराजपुर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी। यह सीट पहले सरसौल विधानसभा सीट हुआ करती थी। महाराजपुर विधानसभा सीट पर ओबीसी और जनरल वोटरों की संख्या सबसे अधिक हैं। इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। महाराजपुर विधानसभा सीट से कैबिनेट मंत्री सतीश महाना विधायक हैं। सतीश महाना 7 बार से लगातार विधायक हैं। सतीश महाना को घेरने के लिए कांग्रेस ने कनिष्क पांडेय और एसपी ने फतेहबहादु गिल को उतारा है। वहीं बीएसपी ने ओबीसी कार्ड खेलते हुए सुरेंद्र पाल पर दांव लगाया है।
10. घाटमपुर विधानसभा (218) सीट
कानपुर की घाटमपुर विधानसभा सीट सुरक्षित सीट है। इस सीट पर ओबीसी और अनुसूचित जनजाति के वोटरों की संख्या सर्वाधिक है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की कमलरानी वरूण जीती थीं। कमल रानी वरूण को प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। लेकिन कोरोना की पहली लहर में उनका निधन हो गया था। इसके बाद घाटमपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे। जिसमें उपेंद्र पासवान ने शानदार जीत दर्ज की थी।
बीजेपी और अपना दल (एस) के बीच हुए गठबंधन में कानपुर की घाटमपुर विधानसभा सीट अपना दल (एस) के खाते में गई है। अपना दल (एस) ने इस सीट से सरोज कुरील को प्रत्याशी बनाया है। सरोज कुरील को घेरने के लिए बीजेपी छोड़कर एसपी में शामिल हुए भगवती सागर को अखिलेश यादव ने उतारा है। वहीं इस सीट पर बीएसपी भी पीछे नहीं है। बीएसपी ने प्रशांत अहिरवार को प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस से राजनारायण कुरील पर दांव लगाया है।
Inside Story: अयोध्या की रुदौली विधानसभा में सिर्फ 4 बार चला धर्म का जादू, जानिए क्या रही वजह
UP Chunav 2022: रविवार को तीसरे चरण की 59 सीटों पर वोटिंग, ये 13 सीटें हैं संवेदनशील