Inside Story: गोरखपुर के माफिया शिकागो तक हैं मशहूर, लेकिन धार्मिक वोटरों ने इन्हें नहीं बनने दिया शहर का नेता

गोरखपुर जिले के माफिया शिकागो तक मशहूर हैं। ज​बकि गोरखपुर के वोटर धार्मिक हैं। ऐसा इसलिए है कि एक समय था, जब गोरखपुर में आए दिन गैंगवार होता था। कभी भी शहर में दिन दहाड़े गोलियां और बम चलने लगते थे। बाहुबली बनने के लिए किसी की हत्या हो जाना ये आम बात थी।

अनुराग पाण्डेय

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के माफिया शिकागो तक मशहूर हैं। ज​बकि गोरखपुर के वोटर धार्मिक हैं। ऐसा इसलिए है कि एक समय था, जब गोरखपुर में आए दिन गैंगवार होता था। कभी भी शहर में दिन दहाड़े गोलियां और बम चलने लगते थे। बाहुबली बनने के लिए किसी की हत्या हो जाना ये आम बात थी। गोरखपुर शहर में माफियाओं की दहशत व्यापारियों और आम आदमी में इस कदर थी कि इनकी मर्जी के बिना पत्ता तक नहीं हिलता था। लेकिन जब गोरखपुर शहर में माफियाओं ने राजनीति के मैदान में अपनी धमक जमानी चाही तब उन्हें बैकफुट पर आना पड़ा। गोरखपुर की जनता ने कभी उन्हें अपना नेता नहीं चुना। जबकि लगातार गोरखनाथ मंदिर के नाम जिसने भी ताल ठोकी उसे यहां की जनता रिकॉर्ड वोटों से विजयी बनाया।

Latest Videos

भले ही अयोध्या और बनारस की तरह गोरखपुर धार्मिक नगरी नहीं कही जाती है। लेकिन यहां के वोटर बहुत ही धार्मिक विचारधारा के हैं। इसका जीता जागता सबूत है कि कई वर्षों से चाहे वो लोकसभा चुनाव हो या फिर एमएलए का दोनों ही इलेक्शन का रिजल्ट गोरखनाथ मंदिर के पक्ष में ही जाता है। मंदिर के अलावा भी जिस कैंडिडेट पर गोरखनाथ मंदिर हाथ रखता है, उसे जनता भी अपना मत देती है। वहीं कभी भी गोरखपुर शहर के माफिया यहां अपना सिक्का राजनीति में नहीं चला पाए। उन्हें माफिया से नेता बनने के लिए देहात क्षेत्र में ही भागना पड़ा है।  

यहां चलती रही ब्राह्मण ठाकुर के वर्चस्व की लड़ाई 
अस्सी के दशक में गोरखपुर में वर्चस्व के दो और केंद्र बन चुके थे। एक गुट का नेतृत्व 'हाता' के पास था तो दूसरे की कमान 'शक्ति सदन' के पास थी। हाता माने बाहुबली नेता और पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी का घर और शक्ति सदन यानि बाहुबली नेता वीरेंद्र प्रताप शाही का घर माना जाता था। गोरखपुर में वहीं होता था जो ये चाहते थे। दोनों अपनी पैरलल सरकार चला रहे थे। गोरखपुर यूनिवर्सिटी से ही ब्राह्मण और ठाकुर के बीच गैंगवार शुरू हो गया था। इसने पहले छात्र राजनीति और बाद में पूर्वांचल की राजनीति को अपनी चपेट में ले लिया। कई छात्र व युवा नेता इस गैंगवार के दुष्चक्र में फंसे और उनकी हत्या हो गई।

गोरखपुर को कहा जाता था दूसरा शिकागो
उस वक्त हरिशंकर तिवारी को 'प्रख्यात नेता' और वीरेंद्र प्रताप शाही को 'शेरे पूर्वांचल' लिखा जाता था। नौजवान दोनों के काफिले के वाहनों में बैठने और कंधे पर बंदूक टांगने में गर्व महसूस करते थे। दोनों नेता जब अपने आवास से बाहर आते तो उनके साथ 200-200 गाड़ियों का काफिला चलता था। जिसमें बंदूक की नालें बाहर दिखाई देतीं थी। दोनों गुटों के बीच वर्चस्व की जंग लगभग दो दशक तक चली। यह वह दौर था जब गोरखपुर को दूसरा शिकागो कहा गया।

गोरखनाथ मठ से दूर थे दोनों बाहुबली 
चाहे हरिशंकर तिवारी हों या फिर वीरेंद्र शाही, गोरखनाथ मठ से दोनों की ही दूरियां रहीं। साल 1996 के लोकसभा चुनाव में तो बाहुबली नेता और दो बार विधायक रह चुके वीरेंद्र शाही महंत अवैद्यनाथ के खिलाफ समाजवादी पार्टी से चुनाव मैदान में उतर गए। मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस इलेक्शन में अवैद्यनाथ बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे। अवैद्यनाथ को चुनाव में 2,36,369 वोट मिले थे। जबकि वीरेंद्र शाही के खाते में 1,79,489 वोट आए। वीरेन्द्र शाही महाराजगंज में जाकर विधायक बनने में कामयाब हो पाए था। जबकि हरिशंकर तिवारी देहात क्षेत्र चिल्लूपार से चुनाव जीता था। दोनों ही बाहुबलियों को गोरखपुर शहर में सिक्का तो खूब चला लेकिन राजनीति करने में वे हमेशा यहां असफल रहे।

हरिशंकर तिवारी के बेटे की हुई थी हार
शहर में कब्जा जमाने के लिए पूर्वांचल के बाहुबली हरिशंकर तिवारी ने साल 2009 में एक आखिरी कोशिश अपने बेटे को लोकसभा चुनाव मैदान में उतार था। लेकिन योगी आदित्यनाथ के खिलाफ उनकी एक ना चली। इस चुनाव में बसपा से लड़ते हुए बाहुबली के बेटे विनय शंकर तिवारी को 25352 वोट मिले थे। जबकि योगी ​आदित्यनाथ को बीजेपी से लड़ते हुए 77438 वोट प्राप्त हुए। इस हार के बाद बाहुबली हरिशंकर तिवारी ने अपनी सीट चिल्लूपार से अपने बेटे विनय शंकर तिवारी को चुनाव लड़वाकर विधायक बनवाया। लेकिन शहर में कभी उनकी दाल नहीं गल पाई।

Inside story: सरकारी दस्तावेजों में मृत संतोष का पर्चा हुआ खारिज, हाई वोल्टेज ड्रामे के साथ लगाई न्याय की गुहा

यूपी चुनाव: SP के पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा ने चुनाव आयोग से की शिकायत, IG लक्ष्मी सिंह को हटाने की रखी मांग

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

महाराष्ट्र चुनाव 2024: महाविकास आघाडी की बुरी हार की 10 सबसे बड़ी वजह
Maharashtra Election Result से पहले ही लगा 'भावी मुख्यमंत्री' का पोस्टर, जानें किस नेता का है नाम
शर्मनाक! सामने बैठी रही महिला फरियादी, मसाज करवाते रहे इंस्पेक्टर साहब #Shorts
Maharashtra Jharkhand Election Result: रुझानों के साथ ही छनने लगी जलेबी, दिखी जश्न पूरी तैयारी
Jharkhand Election Exit Poll: कौन सी हैं वो 59 सीट जहां JMM ने किया जीत का दावा, निकाली पूरी लिस्ट