Inside Story: गोरखपुर में बढ़ी प्रत्याशियों की परेशानी, ब्राह्मण वोट बिखरने से टूट सकता है 37 साल का ​रिकॉर्ड

Published : Mar 01, 2022, 05:18 PM IST
Inside Story: गोरखपुर में बढ़ी प्रत्याशियों की परेशानी, ब्राह्मण वोट बिखरने से टूट सकता है 37 साल का ​रिकॉर्ड

सार

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की चिल्लूपार सीट जहां पर साल 1985 यानी 37 साल से ब्राह्मणों का कब्जा है। इस विधान सभा से साल 2022 चुनाव में भाजपा, सपा और कांग्रेस तीनों पार्टियों ने ब्राह्मण कैंडिडेट मैदान में उतारे हैं। वहीं दूसरी तरफ बसपा जो ब्राह्मणों को उम्मीद्वार बनाकर चिल्लूपार से लगातार तीन विधानसभा चुनाव जीत रही थी। इस चुनाव में बसपा ने क्षत्रिय प्रत्याशी पहलवान सिंह पर दांव लगाया है।

अनुराग पाण्डेय
गोरखपुर:
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की चिल्लूपार सीट जहां पर साल 1985 यानी 37 साल से ब्राह्मणों का कब्जा है। इस विधान सभा से साल 2022 चुनाव में भाजपा, सपा और कांग्रेस तीनों पार्टियों ने ब्राह्मण कैंडिडेट मैदान में उतारे हैं। वहीं दूसरी तरफ बसपा जो ब्राह्मणों को उम्मीद्वार बनाकर चिल्लूपार से लगातार तीन विधानसभा चुनाव जीत रही थी। इस चुनाव में बसपा ने क्षत्रिय प्रत्याशी पहलवान सिंह पर दांव लगाया है। बाहुबली पंडित हरिशंकर तिवारी के बेटे विधायक विनय शंकर तिवारी सपा से लड़ रहे हैं, तो भाजपा से राजेश तिवारी और कांग्रेस से सोनिया शुक्ला दमदारी से चुनाव लड़ रही हैं। तीनों ही प्रत्याशियो को ब्राह्मणों का वोट मिल रहा है। ब्राह्मण वोट बिखरता देख अब बाहुबली के बेटे समेत सभी ब्राह्मण प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ गई है। तीनों ही ब्राह्मण नेता क्षेत्र के ब्राह्मणों से ये कहते फिर रहे हैं कि आपके असली रहनुमा हम हैं, इसलिए अपना वोट बेकार ना करके केवल एक ब्राह्मण को ही दें। 

वहीं दूसरी तरफ ऐसी चर्चा है कि चिल्लूपार से हर बार बाजी मारने वाली पार्टी बसपा फिर चुनाव जीत सकती है। बसपा प्रत्याशी पहलवान सिंह को हर वर्ग का वोट मिलता दिखाई दे रहा है। ये कह सकते हैं कि 37 साल बाद ब्राह्मणों का समीकरण साल 2022 चुनाव में टूट सकता है।  

बाहुबली के लड़ने से चर्चा में आई चिल्लूपार सीट
चिल्लूपार विधानसभा सीट का इतिहास दिलचस्प रहा है। यहां से हरिशंकर तिवारी साल 1985 से 2007 (22 वर्षों) तक विधायक रहे हैं। यह वो दौर था जिसमें हरिशंकर जिस भी पार्टी से मैदान में उतरते, उसी से जीतकर विधानसभा पहुंच जाते थे। साल 2007 के विधानसभा चुनाव से अचानक समीकरण बदल गए और बसपा की राजनीति हावी हो गई। दिग्गज हरिशंकर राजनीति के नए खिलाड़ी राजेश त्रिपाठी से चुनाव हार गए। राजेश बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। हार की टीस बनी रही और हरिशंकर तिवारी 2012 के चुनाव में भी कूद पड़े, लेकिन जनता ने जीत का आशीर्वाद नहीं दिया। दोबारा राजेश त्रिपाठी विधायक बन गए।

हार ने छूड़ा दी बाहुबली की राजनीति
इस हार के बाद हरिशंकर ने राजनीति से संन्यास ले लिया। अब राजनीतिक विरासत उनके बेटे विनय शंकर तिवारी संभाल रहे हैं। विनय ने बसपा के टिकट पर चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र से पहली बार 2017 में चुनाव लड़ा और जीतकर लखनऊ पहुंच गए। इस बार विनय शंकर तिवारी सपा और पूर्व विधायक राजेश त्रिपाठी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा ने राजेंद्र सिंह पहलवान और कांग्रेस ने सोनिया शुक्ला को चुनाव मैदान में उतारा है। लिहाजा, ब्राह्मण व दलित बहुल सीट का मुकाबला दिलचस्प हो गया है। 

वोटों की गणित 
4,29,058 कुल मतदाता 
2,31,826 पुरुष 
1,97,228 महिला 

अनुसूचित जाति- 1.15 लाख 
ब्राह्मण- 80 हजार 
यादव-  40 हजार 
मुस्लिम- 30 हजार 
निषाद- 25 हजार 
मौर्य- 20 हजार 
वैश्य- 25 हजार 
क्षत्रिय- 20 हजार 
भूमिहार- 20 हजार 
सैंथवार- 22 हजार 

साल 2017 का चुनाव परिणाम
विनयशंकर तिवारी, बसपा- 78,177 
राजेश त्रिपाठी, भाजपा- 74,818 
राम भुआल निषाद, सपा- 55,422

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