उत्तर प्रदेश में 2 साल से लागू है धर्मांतरण कानून, राज्य में अब तक 291 मामले दर्ज-500 से अधिक गिरफ्तारी

यूपी में पिछले दो साल में जबरन धर्मांतरण के 291 मामले दर्ज किए गए हैं। उसमें कुल 507 लोगों की गिरफ्तारी की गई। अब तक 150 मामलों में अभियुक्तों ने जबरन धर्म परिवर्तन कराने की बात कुबूल की है। साल 2020 में राज्य में कानून पास हुआ था। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 18, 2022 12:49 PM IST / Updated: Nov 18 2022, 06:22 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बाद अब पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी धर्मांतरण निरोधक कानून को लागू करने की मंजूरी मिल गई है। इसकी मंजूरी सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दी दे है। राज्य में साल 2020 से यह कानून लागू है। इसके अंतर्गत अब तक 291 मामले दर्ज किए गए हैं जबकि 507 से अधिक गिरफ्तारी हो हुई है। इसके अलावा करीब 150 मामलों में पीड़ित ने अदालत के सामने जबरजस्ती धर्म बदलवाने की बात को स्वीकार किया है। साथ ही नाबालिगों के धर्मांतरण के मामले में अभी तक 59 मामले दर्ज किए गए हैं।

धर्म छिपाकर शादी करने पर होगी दस साल की सजा
गौरतलब है कि राज्य में योगी सरकार ने 27 नवंबर 2020 से गैर तरीके से धार्मिक परिवर्तन निषेध कानून लागू किया था। इसके तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को अपराध की गंभीरता के आधार पर करते दस साल की सजा के साथ ही 15 हजार से 50 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है। सजा और जुर्माने के अलावा अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों को शादी करने से दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करते हुए परमिशन लेनी होगी। अगर कोई अपना नाम और धर्म छिपाकर शादी करता है तो वैसे में उसे दस साल की जेल की सजा हो सकती है। महिला, एससी/एसटी या वल्नरबल ग्रुप का अवैध रूप से धर्म परिवर्तित कराने पर दो साल से दस साल तक की जेल की हो सकती है।

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सबसे ज्यादा धर्मांतरण निषेध कानून के मामले बरेली में हुए हैं दर्ज
इस विधेयक को रखते हुए संसदीय कार्य मंत्री ने बताया था कि कई मामलों में ऐसा पाया गया कि धर्म परिवर्तित कर धोखाधड़ी कर शादी की जा रही है। इसी वजह से सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत सिर्फ शादी के लिए किया गया धर्म परिवर्तन अमान्य होगा। साथ ही झूठ बोलकर, धोखा देकर धर्म परिवर्तन को अपराध माना जाएगा। कानून के अनुसार अगर विवाह का एकमात्र उद्देश्य महिला का धर्म परिवर्तन कराना था तो ऐसी शादियों को अवैध करार दिया जाएगा। इस मामले को लेकर अमरोहा में तो एक मामले में आरोपी को सजा भी सुनाई जा चुकी है। अभी तक राज्य में धर्मांतरण निषेध कानून के तहत सर्वाधिक केस बरेली जिले में दर्ज हुए हैं। इतना ही नहीं प्रदेश में दिव्यांग बच्चों के धर्मांतरण कराने वाले रैकेट का खुलासा भी हो चुका है। 

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