यूपी में ब्राह्मण वोट क़रीब 11 फीसदी हैं। सन 2007 में मायावती को ब्राह्मणों का भी अच्छा वोट मिला और उनकी पूरी बहुमत की सरकार बन गई थी।
अयोध्या. उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनैतिक दल चनावी मोड में आ गए हैं। इसी कड़ी में बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) ने चुनाव से ठीक पहले ब्राह्मण कार्ड खेला है। वे पूरे राज्य में ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन करने जा रही हैं। ब्राह्मण सम्मेलन का नाम 'प्रबुद्ध वर्ग संवाद सुरक्षा सम्मान विचार गोष्ठी' किया गया है। पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन को संबोधित करते हुए बीजेपी सरकार पर हमला बोला।
बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा- जिस तरह यूपी में ब्राह्मणों का एनकाउंटर किया गया, उसका बदला लेने का वक्त आ गया है। वहीं, राम मंदिर को लेकर उन्होंने कहा कि अगर ब्राह्मणों ने साथ दिया तो हम भव्यराम मंदिर का निर्माण करेंगे। ब्राह्मण समाज के बहाने बीजेपी को घेरते हुए सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि ब्राह्मण समाज के लिए क्या किया ये बीजेपी से पूछा जाना चाहिए। मायावती जी ने हाथ में गणेश की मूर्ति लेकर नया नारा दिया था- हाथी नहीं गणेश है ब्रह्मा विष्णु महेश है।
मायावती जी ने 15 ब्राह्मण को मंत्री बनाया था, 35 को चेयरमैन बनाया था, 15 को MLC बनाया था, 2200 ब्राह्मण समाज के वकीलों को सरकारी वकील बनाया, पहला चीफ सीक्रेट बनाया। सतीश चंद्र ने कहा कि हम दिखावे की पंडिताई नहीं करते, हम जन्म से ब्राह्मण हैं।
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ब्राह्मण समाज को साधने की कोशिश
यूपी में ब्राह्मण वोट क़रीब 11 फीसदी हैं। सन 2007 में मायावती को ब्राह्मणों का भी अच्छा वोट मिला और उनकी पूरी बहुमत की सरकार बन गई थी। लेकिन बाद में ब्राह्मणों का वोट बीजेपी के साथ चल गया। कहा जा रहा है कि योगी सरकार में ब्राह्मणों के वर्ग की नाराजगी है। ऐसे में मायावती की नज़र इस वोट बैंक में फिर सेंध लगाने की है। सतीश मिश्रा यूपी के हर उस जिले का दौरा करेंगे जहां पर ब्राह्मण वोटर्स की संख्या अधिक है।
इन जिलों में होंगे सम्मेलन
अयोध्या दौरे के बाद बसपा अलग-अलग जिलों में कार्यक्रम आयोजित करेगी। इसके बाद 26 को प्रयागराज तो 27 को कौशाम्बी में भी बड़े कार्यक्रम होंगे। 28 जुलाई को प्रतापगढ़ और 29 जुलाई को सुल्तानपुर में सम्मेलन होगा।
2007 में दिए थे टिकट
मायावती ने सन 2007 में सोशल इंजीनियरिंग का प्रयोग अपनी राजनीति में किया था। बड़े पैमाने पर ब्राह्मणों को चुनाव में टिकट दिया था। 2021 में एक ऐसे वक्त जब कहा जा रहा है कि ब्राह्मणों का एक वर्ग सरकार से नाराज़ है, मायावती फिर उसे दोहराने जा रही हैं।