
लखनऊ: यूपी बुलडोज़र मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 29 जून के लिए टली। जमीयत उलेमा ए हिंद ने राज्य सरकार के हलफनामे का जवाब देने के लिए समय मांगा है। सरकार ने बताया था कि कार्रवाई का दंगों से संबंध नहीं है। जो निर्माण गिराए गए हैं, उनके बारे में आदेश महीनों पहले जारी हो चुका था।
जानिए याचिका में क्या कहा कुछ कहा गया
बता दें कि याचिका में कहा गया था कि उत्तर प्रदेश में सरकार की ओर से की गई कार्रवाई कानून के खिलाफ है। ऐसे में जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कोर्ट से मांग की है कि वह प्रदेश सरकार को आदेश दे कि इस तरह की कार्रवाई को फौरन रोका जाए। वहीं प्रदेश के आठ जिलों में हिंसा फैलाने वाले अबतक 357 आरोपित गिरफ्तार हो चुके हैं। प्रयागराज हिंसा के मुख्य आरोपी जावेद के घर को, कानपुर हिंसा के मुख्य आरोपी जफर हयात की संपत्ति पर और हाथरस में हिंसा फैलाने वाले दो आरोपितों के घर को प्रदेश सरकार की आदेश के बाद बुलडोजर से ध्वस्त किया जा चुका है।
यूपी सरकार ने बताया नियमानुसार की गई कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट में जमीयत के आरोप पर जवाब देते हुए यूपी सरकार ने कहा कि 'जिन इमारतों पर बुलडोजर चलाया गया है, उसकी कार्रवाई दंगों से संबंधित नहीं है। यूपी में पहले से अवैध निर्माण को लेकर बुलडोज़र चल रहा है। ये अभी हुए दंगो के बाद ऐसा नही हुआ है। जमीयत इस मामले को गलत रंग दे रही है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा गया है अवैध निर्माण को गिराने की कार्रवाई नियमानुसार की गई है। इसके साथ ही जमीयत की याचिका खारिज करने की भी मांग की गई है।'
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया अपना जवाब
उत्तर प्रदेश में लम्बे समय से गैंगस्टर तथा कानून तोड़ने वालों के खिलाफ बाबा का बुलडोज़र थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी को लेकर अब ये मसला सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच गया है। आज बुलडोज़र की कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस का जवाब दाखिल करने को कहा था। सरकार ने गुरुवार को इस मामले में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। सरकार ने हलफनामा दाखिल कर बुलडोज़र की कार्रवाई को सही बताया है। सरकार का कहना है कि 'इस कार्रवाई का आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद भड़के दंगों से कोई सम्बंध नहीं है।'
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