UP सरकार ने किया श्रम कानून में बदलाव, जानें 12 घंटे की नौकरी पर अब कितनी मिलेगी सैलरी

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अगले तीन सालों तक श्रम कानूनों में छूट देने का फैसला किया है। अब इस कानून का असर नौकरी करने वाले लोगों की सैलरी पर भी पड़ेगा ।

Asianet News Hindi | Published : May 11, 2020 10:31 AM IST

लखनऊ(Uttar Pradesh). कोरोना वायरस के संक्रमण की चैन तोड़ने के लिए किए गए लॉकडाउन का उद्योग धंधों पर बुरा असर पड़ा है। बाजार में मांग कम होने से वस्तुओं का उत्पादन कम हो रहा है और फैक्टरियों से मजदूर, कामगार की या तो नौकरी जा रही है या फिर उनकी सैलरी में कटौती हो रही है। सबसे ज्यादा प्रभावित असंगठित क्षेत्र के मजदूर हुए हैं। रियल सेक्टर में काम बंद होने से कई बड़े प्रोजेक्ट बंद पड़े हैं और मजदूरों के पास काम नहीं है। उद्योग धंधों को इस मंदी से उबारने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अगले तीन सालों तक श्रम कानूनों में छूट देने का फैसला किया है। अब इस कानून का असर नौकरी करने वाले लोगों की सैलरी पर भी पड़ेगा ।

यूपी की योगी सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक, कारखाना अधिनियम 1948 के अंर्तगत आने वाले रजिस्ट्रीकृत सारे कारखानो की कार्यप्रणाली में धारा 51, 54, 55, 56, और धारा 59 के तहत बदलाव किए गए हैं। इसके अनुसार कर्मचारियों के लिए साप्ताहिक, घंटों, दैनिक घंटों, अतिकाल, और विश्राम आदि से संबंधित विभिन्न नियमों से 19 जुलाई 2020 तक के लिए छूट के लिए छूट के लिए प्राप्त होंगे।

जाने कितने घंटे काम की क्या होगी सैलरी 
कानून में बदलाव के बाद जारी आदेश के मुताबिक कोई कर्मचारी किसी भी कारखाने में प्रति दिन 12 घंटे और सप्ताह में 72 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेगा। पहले यह अवधि दिन में 8 घंटे और सप्ताह में 48 घंटे थी। 12 घंटे की शिफ्ट के दौरान 6 घंटे के बाद 30 मिनट का ब्रेक दिया जाएगा। 12घंटे की शिफ्ट करने वाले कर्मचारी की मजदूरी दरों के अनुपात में होगी यानी अगर किसी मजदूर की आठ घंटे की 80 रुपये है तो उसे 12 घंटे के 120 रुपये दिए जाएंगे। आपको बता दें कि पहले ओवर टाइम करने पर प्रतिघंटे सैलरी के हिसाब से दोगुनी सैलरी मिलती थी।

विपक्ष ने किया था विरोध 
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट करके विरोध जताया था। उन्होंने कहा था कि नए कानून के तहत मजदूरों का शोषण बहुत दुखद है। कोरोना प्रकोप में मजदूरों का सबसे ज्यादा बुरा हाल है, फिर भी उनसे 8 के बजाए 12 घंटे काम लेने की शोषणकारी व्यवस्था पुनः देश में लागू करना अति-दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण है। श्रम कानून में बदलाव देश की रीढ़ श्रमिकों के व्यापक हित में होना चाहिये ना कि कभी भी उनके अहित में। वहीं श्रम कानून में बदलाव को लेकर नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार मजदूरों का दमन कर रही है और इस सरकार को ये फैसला वापस लेना चाहिए और अगर नहीं करती है तो उसे नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।

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