
प्रयागराज(Uttar Pradesh). देश में कोरोना संकट के चलते लाखों लोग अभावों में जी रहे हैं। बहुत से ऐसे लोग भी हैं काम-धंधा बंद होने से भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं। सरकार ऐसे लोगों की मदद के लिए काफी कोशिश कर रही है। आम जनता भी जरूरतमंदों की मदद को आगे आई है। प्रयागराज के रहने वाले बुजुर्ग दंपत्ति के मन में जरूरतमंदों की मदद का ऐसा जज्बा आया कि उन्होंने अपने अंतिम संस्कार के लिए जमा किए पैसों को दान कर दिया। बुजुर्ग दंपत्ति के कोई संतान नही है इसलिए अपने अंतिम संस्कार की चिंता में उन्होंने बैंक में दो लाख रूपए जमा किए थे। एक बच्ची द्वारा अपने गुल्लक के पैसों के दान करने के बाद इस बुजुर्ग दंपत्ति में भी ये जज्बा पैदा हुआ।
प्रयागराज के नैनी में ADA कालोनी में भगीरथ मिश्रा (80) अपनी पत्नी पुष्पा ( 77) के साथ रहते हैं। भागीरथ मिश्र प्रयागराज स्थित सीओडी छिवकी से ऑफिस सुपररिंटेंडेंट पद से सेवानिवृत्त हैं। उनके कोई संतान नहीं है, न ही कोई अपना खास। रिटायरमेंट के बाद मिले पैसों को उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक में जमा कर दिया उसकी ब्याज व पेंशन से ही उनकी जरूरतें व अन्य खर्च पूरे होते हैं। पैसा संयुक्त रूप से जमा था ताकि किसी एक के साथ अनहोनी पर दूसरा पैसा निकाल ले। भागीरथ मिश्र ने एक दिन अखबार में बच्ची के गुल्लक फोड़कर 438 रुपये कोरोना की लड़ाई में पीएम केयर फंड में देने की खबर पढ़ी। वह उस बच्ची से बहुत प्रेरित हुए. जिसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी से दान को लेकर बात किया।
दान कर दिए अंतिम सफर के लिए जमा रूपए
भगीरथ ने जब अपनी पत्नी पुष्पा से दान को लेकर बात की तो वह सहर्ष तैयार हो गईं। जिसक बाद दोनों ने अपने अंतिम संस्कार के लिए जमा किए गए दो लाख रूपयों को पीएम केयर्स फंड में दान देने का मन बनाया। उन्होंने इसके लिए बैंक ड्राफ्ट बनवाया तो उसमें गलती हो गई। इस पर वह बैंक गए और एक लाख रुपये पीएम केयर फंड और एक लाख रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष में ट्रांसफर करवा दिया। बुजुर्ग दंपती कहते हैं कि जनकल्याण के लिए दो लाख रुपये देने से उन्हें बहुत संतुष्टि मिली है।
नौकरी के बाद संगमनगरी में हो गए थे शिफ्ट
भागीरथ मिश्र मूल रूप से बिहार के दरभंगा जिले के हिरजी गांव के निवासी हैं। भगीरथ मिश्र को बहुत साल पहले जब सीओडी आफिस में नौकरी मिली और उनका तबादला प्रयागराज हुआ तब वह यहीं शिफ्ट हो गए। उन्हें कोई सन्तान नही है और न ही कोई दूसरा सगा सम्बन्धी। भागीरथ मिश्र के मुताबिक इतनी पेंशन मिलती है कि घर का खर्च चलता है। भविष्य की स्थितियों का सामना भी इससे हो जाएगा।
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