केंद्र सरकार यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले योगी आदित्यनाथ सरकार ने पराली जलाने के लिए किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेना शुरू कर दिया है। इस साल किसानों के खिलाफ पराली जलाने को लेकर कोई नई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। विशेष सचिव (कानून) राकेश कुमार सिंह ने कहा कि किसानों के खिलाफ मामलों को अभी तक ग्रुप में वापस नहीं लिया गया है। संबंधित जिलाधिकारियों द्वारा भेजी जा रही रिपोर्ट के आधार पर मामले की पहचान हो जाने के बाद हम एक समूह में मामलों को वापस लेने का आदेश जारी करेंगे।
लखनऊ: पिछले दो वर्षों के दौरान यूपी सरकार (UP Government) ने राज्य में कोविड -19 लॉकडाउन (Covid 19 lockdown) के उल्लंघन के लिए लोगों के खिलाफ भारी संख्या में मुकदमे दर्ज किए गए। हालात सुधरने के साथ अपनी छवि पर आई आंच को दूर करने के लिए सीएम योगी (CM Yogi) ने कोविड -19 लॉकडाउन के उल्लंघन के लिए लोगों के खिलाफ दर्ज किए गए लगभग तीन लाख मामलों को एक बार में ही हटा दिए थे। इसी के चलते अब विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Chunav 2022) से पहले योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi adityanath) ने पराली जलाने के लिए किसानों (stubble burning farmers) के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेना शुरू कर दिया है। किसानों के लिए सीएम योगी की ओर से उठाया गया यह स्टंट आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को एक बड़ा फायदा पहुंचा सकता है।
सीएम योगी ने अगस्त में कई थी घोषणा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अगस्त में घोषणा की थी कि किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने के लिए सरकार जल्द कदम उठाएगी। योगी ने कहा था कि सरकार पराली जलाने के लिए किसानों के खिलाफ पुराने मामलों वापस ले लेगी। उन्होंने यह घोषणा तब की थी जब प्रगतिशील किसानों के एक समूह ने उनसे उनके आवास पर मुलाकात की। उस वक्त केंद्र के तीन कृषि कानूनों (अब निरस्त) के खिलाफ किसानों का आंदोलन अपने चरम पर था। उत्तप्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने कहा, 'सरकार ने न केवल किसानों के खिलाफ फसल पराली जलाने के मामलों को वापस लेने का निर्णय लिया है, बल्कि उनके खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने का भी काम शुरू हो गया है।'
इस साल यूपी में नहीं दर्ज हुए पराली जलाने से जुड़े एक भी मामले
गृह विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, सरकार ने निकासी के लिए लगभग 865 मामलों (किसानों के खिलाफ) की पहचान की और उन्हें एलआर कानून की अध्यक्षता वाली समिति को भेज दिया, उन पर योग्यता के आधार पर फैसला किया। उन्होंने कहा, 'इनमें से ज्यादातर मामले 2019 और 2020 के हैं, जब विभिन्न जिलों में पुलिस ने उन किसानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी जो राष्ट्रीय हरित अधिकरण के निर्देशों का उल्लंघन कर पराली जलाकर वायु प्रदूषण कर रहे थे।' उन्होंने कहा, 'इस साल ऐसे मामलों में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।'
जल्द जारी होगा आदेश, एक साथ वापस होंगे सभी दर्ज मामले
विशेष सचिव (कानून) राकेश कुमार सिंह ने बताया किकिसानों के खिलाफ मामलों को अभी तक ग्रुप में वापस नहीं लिया गया है, हालांकि हो सकता है कि कुछ व्यक्तिगत मामलों में उन्हें वापस ले लिया गया हो। उन्होंने कहा, 'संबंधित जिलाधिकारियों द्वारा भेजी जा रही रिपोर्ट के आधार पर मामले की पहचान हो जाने के बाद हम एक समूह में मामलों को वापस लेने का आदेश जारी करेंगे।'