यूपी में विधान परिषद उपचुनाव से पहले समाजवादी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। सपा की ओर से उम्मीदवार बनाई गई कीर्ति कोल का नामांकन खारिज हो गया है। नामांकन में लिखी डेट ऑफ बर्थ की वजह से यह पर्चा खारिज हुआ है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद की दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले समाजवादी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। सपा प्रत्याशी कीर्ति कोल का पर्चा खारिज हो गया है। इसके बाद बीजेपी के दोनों उम्मीदवार धर्मेंद्र सिंह और निर्मला पासवान की निर्विरोध जीत तय हो गई है। बताया गया कि नामांकन पत्र की जांच के दौरान कीर्ति कोल ने जो डेट ऑफ बर्थ ने जो लिखी थी वह 30 साल से कम थी। इसी के चलते उसका पर्चा खारिज हो गया है। जांच में दोनों प्रत्याशियों का पर्चा वैध मिला है।
कीर्ति कोल को प्रत्याशी बना सपा ने चला था बड़ा दांव
आपको बता दें कि सोमवार को कीर्ति कोल और बीजेपी के दोनों ही प्रत्याशियों ने नामांकन किया था। सपा प्रत्याशी कीर्ति कोल के नामांकन के दौरान अखिलेश यादव को छोड़कर कई बड़े नेता भी वहां पर मौजूद थे। कीर्ति का नामांकन रद्द होने के बाद सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि पार्टी से इतनी बड़ी चूक कैसे हुई। ज्ञात हो कि आदिवासी प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारकर सपा ने बड़ा दांव खेला था। हालांकि इस चूक के बाद यह माना जा रहा है कि पार्टी ने इस चुनाव को गंभीरता से ही नहीं लिया।
भाजपा प्रत्याशियों का निर्विरोध चुना जाना तय
ज्ञात हो कि सपा नेता अहमद हसन के निधन और ठाकुर जयवीर सिंह के इस्तीफे के बाद एमएलसी की यह दोनों सीटें रिक्त हुई थीं। इन दोनों सीटों के लिए ही सोमवार को भाजपा के दो और सपा की एक उम्मीदवार ने नामांकन दाखिल किया था। हालांकि इसके अगले ही दिन कीर्ति का पर्चा खारिज हो गया। नामांकन के बाद इन सीटों के लिए 11 अगस्त को चुनाव होना है, लेकिन उससे पहले ही कीर्ति का पर्चा खारिज होने के बाद भाजपा के दोनों प्रत्याशियों का निर्विरोध चुना जाना तय है। बता दें कि 20 फरवरी 2022 को समाजवादी पार्टी के एमएलसी अहमद हसन का निधन बीमारी के बाद हो गया था और ठाकुर जयवीर सिंह ने 24 मार्च 2022 को विधायक चुने जाने के बाद अपनी सीट से इस्तीफा दिया था। इसी के चलते इन सीटों पर उप चुनाव हो रहा है।