वैदिक सनातन संघ ने श्रृंगार गौरी मामले में केस वापस लेने का किया ऐलान, नही बताई वजह


ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मंदिर विवाद और भी गहराता जा रहा है। अब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ने मुस्लिम समाज से अपील की है कि वह हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी मस्जिद सौंप दें। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि यहां पहले मंदिर था।


वाराणसी: काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी विवाद मामले में सभी राजनीतिक दल बहुत संभलकर बयानबाजी कर रहे हैं। अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने श्रृंगार गौरी दर्शन पूजन मामले में कोर्ट के आदेश पर अधिकृत तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। दो दिनों से श्रृंगार गौरी मामले में सर्वे को लेकर काशी के साथ देश का माहौल गर्म है। 

श्रृंगार गौरी को लेकर सनातन संग ने केस वापस लेने का किया ऐलान
श्रृंगार गौरी मामले में शुरूआती दौर से जुड़ी वैदिक सनातन संघ ने केस वापस लेने की बात कही है। लेकिन इसके पीछे की वजह के बारे में अभी किसी भी तरह का कोई भी खुलासा नही हुआ है। 

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महिलाओं ने पूजा करने के लिए दाखिल की थी याचिका
मंदिर में पूजा पाठ करने को लेकर पांच महिलाओं ने एक याचिका दाखिल की थी। पांचो याचिकार्ता महिलाओं ने कोर्ट से श्रंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा अर्चना की अनुमति दिये जाने की अपील की थी। कोर्ट से इजाजत की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि श्रृंगार गौरी का मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद है और मस्जिद की दीवार से सटा हुआ है। आपको बता दें कि वैदिक सनातन संघ ने ही श्रृंगार गौरा मामले को लेकर महिलाओं से याचिका दायर करवाई थी।

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ने दिया चौकाने वाला बयान
अबी तक किसी भी पार्टी की तरफ से ज्ञानवापी को लेकर को भी स्टेटमेंट जारी नही किया गया था। लेकिन अब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शशी प्रताप सिंह ने एक बयान जारी करके सबको चौंका दिया। प्रदेश प्रवक्ता ने संदेश जारी कर कहा है कि 'मुस्लिम समाज से ज्ञानवापी मस्जिद को हिंदू पक्ष को सौंप देने की अपील की है। अपने बयान में प्रदेश प्रवक्ता ने ये भी कहा कि इसके बाद काशी विश्वनाथ धाम का स्वरूप और भी भव्य हो जाएगा।'

कोर्ट ने क्या दिया आदेश
इस पूरे मसले को लेकर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए ये आदेश दिया है कि परिसर की वीडियोग्राफी और सर्वे किया जायेगा। जानकारी के मुताबिक ये बताया जा रहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे आज दोपहर 3 बजे से होगा।  मस्जिद के दोनों तहखानों का भी सर्वे होगा, इनमें से एक तहखाने की चाभी प्रशासन के पास और दूसरे की चाभी मस्जिद पक्ष के पास है। इस पूरे सर्वे में तीन से चार दिन का समय लगने का अनुमान है। इस दौरान वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी होगी।
 

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