कौशांबी: मुस्लिम परिवार ने जिसे बेटा समझ कर दिया दफन वह चंद दिन बाद आ गया वापस, जानिए क्या है पूरा मामला

Published : Jul 22, 2022, 01:56 PM IST
कौशांबी: मुस्लिम परिवार ने जिसे बेटा समझ कर दिया दफन वह चंद दिन बाद आ गया वापस, जानिए क्या है पूरा मामला

सार

रमजान ने बताया कि बेरोजगारी की वजह से मां-बाप ताने देते थे। इस वजह से वह 4 महीने पहले घर छोड़कर प्रयागराज चला गया था। वहां मजदूरी कर रहा था, इतने दिनों में मां-बाप से कोई बात नहीं हुई। पूरी कहानी सुनने के पसीना छूट गया। तुरंत बिजलीपुर में मां सफीकुलनिशा व पिता शब्बीर को फोन कर अपने जिंदा होने की बात बताई। 

कौशांबी: कब्र में दफ्न लाश को बाहर निकलवाने के तो कई मामले सुने होंगे लेकिन कब्र में  दफ्न की गई लाश वापस आ जाए ये नहीं सुना होगा। ऐसा ही हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जहांन हर कोई जिसे मरा हुआ समझ रहा था वो रमजान अचानक पुलिस के सामने आ गया और बोला कि- मैं जिंदा हूं। अब सवाल उठ रहा है कि पुलिस ने जिस लाश को रमजान बताकर बिजलीपुर के मुस्लिम परिवार को सौंप दिया था कहीं वह कोई और तो नहीं था। 

खुद के दफ्न होने की बात सुनकर रमजान के छूटे पसीने
रमजान ने बताया कि बेरोजगारी की वजह से मां-बाप ताने देते थे। इस वजह से वह 4 महीने पहले घर छोड़कर प्रयागराज चला गया था। वहां मजदूरी कर रहा था, इतने दिनों में मां-बाप से कोई बात नहीं हुई। साथ ही उसने बताया कि 20 जुलाई को एक रिश्तेदार प्रयागराज के चौफटका इलाके में मिल गए और उन्होंने मुझे देखा तो हैरान रह गए, कारण पूछा तो पूरी कहानी पता चली। जिसे सुनने के बाद उसका पसीना छूट गया। तुरंत बिजलीपुर में मां सफीकुलनिशा व पिता शब्बीर को फोन कर अपने जिंदा होने की बात बताई। जिसके बाद प्रयागराज से निकला और खुद के जीवित होने का सबूत देने सैनी कोतवाली पहुंचा। पुलिस को भरोसा नहीं हुआ तो मां-बाप को बुलवाया। दोनों ने उसे रमजान बताया तो उसे उनके साथ जाने दिया।

ये था पूरा मामला
बीती 11 जून को कौशांबी के बनपुकरा रेलवे स्टेशन के पास पिलर नंबर 812 के पास एक युवक की लाश मिली थी। उस समय शिनाख्त न होने पर पुलिस शव को सुरक्षित रखवाकर आसपास क्षेत्र में पूछताछ कर पहचान कराने का प्रयास कर रही थी। 14 जून की शाम को लाश मिलने का वीडियो देखकर बिजलीपुर के शब्बीर और सफीकुलनिशा ने रेलवे ट्रैक पर मिले शव की पहचान अपने बेटे रमजान के रूप में की थी। 15 जून को पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर दोनों को सौंप दिया। शब्बीर व सफीकुलनिशा ने शव को कब्रिस्तान में दफन करवा दिया था।

दफन लाश के सूरज होने का दावा 
इस मामले में पहला मोड़ तब आया जब 28 जून को फतेहपुर निवासी शिक्षक संतराज कौशांबी पुलिस के पास पहुंचे और रेलवे ट्रैक पर मिली लाश अपने बेटे सूरज की बता दी। पुलिस ने बताया कि वह रमजान है और उसका शव दफना दिया गया है तो उसी दिन संतराज ने कौशांबी के DM सुजीत कुमार से शिकायत कर बिजलीपुर गांव में दफन लाश के सूरज होने का दावा किया और लाश उन्हें सौंपने की मांग की।

संतराज ने डीएम को बताया था कि उनका बेटा सूरज 11 जून को घर से नाराज होकर चला गया था। उसके बाद सैनी कोतवाली के बनपुकरा गांव के पास दिल्ली-हावड़ा रूट पर ट्रेन के आगे कूदकर खुदकुशी कर ली थी। जिसे बिजलीपुर गांव के शब्बीर के परिवार ने अपना बेटा रमजान बताकर कब्र में दफन करा दिया है, वह सूरज की लाश है।

डीएनए रिपोर्ट की इंतजार
डीएम संतराज ने गांव में दफन लाश को निकलवाने के आदेश सीओ सिराथू को दिये। 3 जुलाई को सीओ सिराथू केजी सिंह, SDM राहुल देव भट्‌ट और डॉ. नीरज सिंह की मौजूदगी में कब्र खुदवाकर लाश से बाल, नाखून व स्किन के सैंपल लिये गए थे। इसके बाद शिक्षक संतराज और बिजलीपुर के शब्बीर और सफीकुलनिशा के भी सैंपल लेकर लखनऊ जांच के लिये भेजे गए थे। उसके बाद से डीएनए रिपोर्ट का इंतजार था।

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