आम व्यापारी उपेंद्र सिंह ने बताया कि मलिहाबाद की आर्थिक रीढ़ की हड्डी दशहरी आम को माना जाता है। इसलिए इस साल कुछ किसानों ने फल के ऊपर बैगिंग (लिफाफे) लगाए थे जो आंध्र प्रदेश से मंगाए गए थे। इसको लगाने के बाद आम की गुणवत्ता अच्छी हो गई है।
लखनऊ: देश और दुनिया में दशहरी आम ने अपने स्वाद से एक अलग पहचान बनाई है। यही वजह है कि आम को फलों का राजा कहा जाता है। वहीं अब किसानों ने इसकी सुंदरता और स्वाद को खास करने के लिए एक नया तरीका अपनाया है। जिससे खूबसूरती के साथ- साथ इसके वजन में भी 25 प्रतिशत इजाफा हुआ है। दरअसल, जापान और आस्ट्रेलिया की तर्ज पर लखनऊ के मलिहाबाद में किसानों ने दशहरी आमों पर बैग लगाकर उसे तैयार किया है। जिसे दशहरी बैगिंग नाम दिया गया है।
दशहरी नाम का एक मशहूर गांव
इस आम को देखकर ही आपके मुंह में पानी आ जायेगा क्योंकि इस आम में किसी भी तरह दाग नहीं है। यह दिखने में बिल्कुल साफ सुथरा और स्वादिष्ट है। यह पीला और खूबसूरत होने के साथ इसका वजह करीब 300 ग्राम है। जो सामान्य दशहरी आमों से करीब 25 फीसदी ज्यादा है। बता दें कि काकोरी में दशहरी नाम का एक गांव है, जहां एक आम का पेड़ मौजूद है। जब इस पेड़ पर पहला फल आया तो गांव के नाम पर इसका नाम दशहरी पड़ा।
करीब 400 साल पुराना मदर ऑफ़ मैंगो ट्रीज़
वर्तमान में इस पेड़ की आयु करीब 400 वर्ष बताई जा रही है। इस पेड़ को मदर ऑफ़ मैंगो ट्रीज़ भी कहा जाता है। यही वजह से यूपी सरकार ने इसे हेरिटेज वृक्ष के रूप में घोषित किया है। आम व्यापारी उपेंद्र सिंह ने बताया कि मलिहाबाद की आर्थिक रीढ़ की हड्डी दशहरी आम को माना जाता है। इसलिए इस साल कुछ किसानों ने फल के ऊपर बैगिंग (लिफाफे) लगाए थे जो आंध्र प्रदेश से मंगाए गए थे। इसको लगाने के बाद आम की गुणवत्ता अच्छी हो गई है।
उन्होंने बताया कि यह पहली बार किया गया है। इस तरह से जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में बैगिंग की जाति है। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उपेंद्र ने अपील करते हुए कहा कि किसानों को इस बैगिंग पर आंध्र प्रदेश की सरकार 70 फीसदी छूट दे रही है। अगर योगी सरकार इसे प्रमोट करने के लिए छूट दे तो इससे किसानों का काफी उत्थान होगा। वहीं गुणवत्ता होने के साथ ही दशहरी आम का निर्यात भी बढ़ेगा।
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