8 माह पहले कैसे पूरा हो गया बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का काम, जानिए कैसे हुआ पूरा काम

ये एक्सप्रेसवे पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है। बड़ी बात ये है कि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का शिलान्यास  पीएम मोदी ने 20 फरवरी 2020 को किया था। तब इसके निर्माण का लक्ष्य 36 महीने का था। कोरोना महामारी के बावजूद ये एक्सप्रेसवे मात्र 28 महीने में बनकर तैयार है।

Asianet News Hindi | Published : Jul 16, 2022 8:10 AM IST / Updated: Jul 16 2022, 01:48 PM IST

लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का लोकार्पण कर दिया है। इस दौरान सीएम योगी ने कहा कि कोरोना के बावजूद 28 महीने में एक्सप्रेस-वे तैयार हुआ है।  एक्सप्रेस-वे को बनने के लिए लगभग 28 महीने लगे। जब्कि इस एक्सप्रेस वे का उद्घाटन अगले साल फरवरी तक होना था। लेकिन लगभग 7 से 8 माह पहले ही सीएम योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे बनकर तैयार हो गया है। पीएम मोदी और सीएम योगी का ये ड्रीम प्रोजेक्ट था। सीएम योगी इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के लेकर शुरुआत से रही चिंतित थे। इसको लेकर समय-समय पर अधिकारियों के साथ बैठक करते रहे हैं। कोरोना के समय में भी सावधानी बरतते हुए बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का लगातार जारी रहा। यही कारण है कि  36 महीने में तैयार होने वाला प्रोजेक्ट 28 महीने में बनकर तैयार हो गया। हालांकि कि अभी इस एक्सप्रेसवे पर कई सारे काम बचे हुए हैं। जिसका निर्माण कार्य जारी रहेगा। 

8 महीने पहले बनकर तैयार हुआ एक्सप्रेसवे
ये एक्सप्रेसवे पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है। बड़ी बात ये है कि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का शिलान्यास  पीएम मोदी ने 20 फरवरी 2020 को किया था। तब इसके निर्माण का लक्ष्य 36 महीने का था। कोरोना महामारी के बावजूद ये एक्सप्रेसवे मात्र 28 महीने में बनकर तैयार है। 

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12.72 फीसदी कम ख़र्च में बना एक्सप्रेसवे 
बता दें कि इस एक्सप्रेसवे परियोजना में अनुमानित लागत से 12.72 फीसदी कम ख़र्च हुआ है। यानी कम समय और कम ख़र्च में ये एक्सप्रेसवे बनाया गया है. इससे यूपीडा को लगभग 1132 करोड़ रुपये का फ़ायदा भी हुआ है। इसका निर्माण उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण के द्वारा लगभग 14,850 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है।

बारिश का पानी की एक-एक बूंद होगी सुरक्षित
एक्सप्रेसवे पर हर 500 मीटर पर वाटर हार्वेस्टिंग के लिए रिवर्स बोरिंग की गई है। बारिश का पानी पक्की नालियों से 15 मीटर लंबे और तीन मीटर चौड़े तथा तीन मीटर गहरी हौज (टंकी) में जाएगा। यहां से 50-50 फीट गहराई में रिवर्स बोरिंग से पानी भूगर्भ में समा जाएगा।

बांदा जिले के 28 गांवों को छूता हुआ करीब 80 किमी के एरिया से बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे गुजर रहा है। यहां के लोग महोखर, मवई, हथौड़ा और बिसंडा से एक्सप्रेसवे पर आसानी से पहुंच सकते हैं। इन जगहों पर टोल मार्ग बनाया गया है। इसके अलावा पहले, दूसरे, पांचवें और छठे पैकेज के बीच-बीच में साइड रोड, टेस्टिंग सहित अन्य कई छोटे-छोटे काम अधूरे हैं।  इन्हें तेजी से पूरा किया जा रहा है। कार्यदायी संस्था यूपीडा के प्रोजेक्ट सहायक अभियंता एसके यादव का कहना है कि सीओडी आने के बाद ही टैक्स पड़ेगा। उनका कहना है इसमें अभी कम से कम 6 से 8 महीने लग सकते हैं।
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