यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के चेयरमैन राज कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि अभ्यर्थी की गिरफ्तारी की सूचना भर्ती बोर्ड को नहीं दी गई थी। इसकी वजह से उसका नाम चयन सूची में आ गया। अब अर्जुन का नाम हटा दिया गया है। आगे की कार्रवाई की जा रही है।
लखनऊ: हाल ही में हुई दारोगा भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाने वाले मामले सामने आने लगे हैं। जेल में बंद युवक का चयन भी कर लिया गया। आरोपी पर सॉल्वर के जरिए परीक्षा पास करने का आरोप है। इसी मामले में वह जेल में सजा भी काट रहा है।
आरोपी अर्जुन का नाम हटाया गया
मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने मामले की जांच के आदेश दे दिए। साथ ही चयनित आरोपी का नाम सूची से हटा दिया है। यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के चेयरमैन राज कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि अभ्यर्थी की गिरफ्तारी की सूचना भर्ती बोर्ड को नहीं दी गई थी। इसकी वजह से उसका नाम चयन सूची में आ गया। अब अर्जुन का नाम हटा दिया गया है। आगे की कार्रवाई की जा रही है।
9534 पदों पर निकाली गई थी भर्ती
बता दें कि भर्ती बोर्ड ने वर्ष 2021 में उप निरीक्षक के 9534 पदों पर भर्ती निकाली थी। इसमें अनुसूचित जाति के बलिया के अर्जुन प्रसाद ने भी आवेदन किया था। अर्जुन ने कानपुर के राहुल से चयन के लिए सात लाख रुपये में सौदा किया। राहुल ने अर्जुन के स्थान पर परीक्षा दिलाने के लिए बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले शिशुपाल नाम के सॉल्वर को लगाया।
यह था पूरा मामला
शिशुपाल की फोटो लगाकर अर्जुन की डिटेल के साथ फर्जी दस्तावेज तैयार किया गया। परीक्षा 16 नवंबर 2021 को कास्मो फाउंडेशन जानकीपुरम एक्सटेंशन, लखनऊ में थी। यहां सॉल्वर शिशुपाल ने अर्जुन बनकर परीक्षा दी। परीक्षा में वह पास भी हो गया। अभिलेखों के सत्यापन के लिए अर्जुन को पांच मई को पुलिस लाइन प्रयागराज बुलाया गया। यहां भी शिशुपाल ने अर्जुन बनकर दस्तावेज चेक कराए और किसी को शक तक नहीं हुआ।
अर्जुन को शारीरिक परीक्षा यानी दौड़ के लिए 19 मई को 37वीं वाहिनी पीएसी कानपुर में बुलाया गया। यहां भी अर्जुन की जगह शिशुपाल पहुंचा और उसने यह परीक्षा भी पास कर ली। यानी शिशुपाल हर जगह अर्जुन बनकर भर्ती बोर्ड से लेकर परीक्षा कराने वाली एजेंसी और एसटीएफ की तमाम नाकेबंदी को तोड़कर परीक्षाओं में शामिल होता रहा और पास भी होता चला गया।
एक मुखबिर ने दौड़ के अगले दिन यानी 20 मई को इस फर्जीवाड़े के बारे में बता दिया। एसटीएफ ने जाल बिछाकर उसी दिन अर्जुन व शिशुपाल को कानपुर के बाबूपुरवा थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया। 12 जून को जब भर्ती बोर्ड ने अंतिम चयन सूची जारी की तो उसमें पुलिस उप निरीक्षक के पद पर एसटी कोटे से अर्जुन का भी नाम शामिल था। जब प्रशिक्षण के लिए अर्जुन को बुलाया गया तो पता चला कि वह इसी भर्ती के फर्जीवाड़े में कानपुर जेल में बंद है।
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