जिला स्तर पर स्कूली वाहनों की जांच के लिए समितियां बनाई गई थीं। इसमें जिलाधिकारी, बीएसए, डीआईओएस, यातायात पुलिस, आरटीओ और स्कूल यूनियन के पदाधिकारियों को रखा गया है। यह समितियां स्कूल प्रबंधन के साथ सामंजस्य बनाकर वाहनों के फिटनेस मानकों की जांच करेंगे। आरटीओ संदीप कुमार पंकज ने बताया कि नियमानुसार नोटिस जारी कर दी गई है। ऐसे वाहनों पर कार्रवाई भी की जा रही है।
लखनऊ: यूपी की सड़कों पर चल रहे अवैध वाहनों के खिलाफ सीएम योगी ने सख्त निर्देश दिए हैं लेकिन इसके बावजूद बच्चों की जान के साथा खिलवाड़ करने का काम किया जा रहा है। प्राथमिकी दर्ज कराने के निर्देशों के बाद भी आए दिन स्कूल वाहन पकड़े जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक बच्चों की जान जोखिम में डालने वाले करीब 1,828 वाहन बिना फिटनेस कराए ही सड़कों पर दौड़ रहे हैं।
नोटिस की गई जारी
जिला स्तर पर स्कूली वाहनों की जांच के लिए समितियां बनाई गई थीं। इसमें जिलाधिकारी, बीएसए, डीआईओएस, यातायात पुलिस, आरटीओ और स्कूल यूनियन के पदाधिकारियों को रखा गया है। यह समितियां स्कूल प्रबंधन के साथ सामंजस्य बनाकर वाहनों के फिटनेस मानकों की जांच करेंगे। आरटीओ संदीप कुमार पंकज ने बताया कि नियमानुसार नोटिस जारी कर दी गई है। ऐसे वाहनों पर कार्रवाई भी की जा रही है।
फिटनेस ना कराने पर होगी कानूनी कार्रवाई
सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन अखिलेश द्विवेदी ने कहा कि बच्चों के जीवन से खिलवाड़ करने को किसी को भी इजाजत नहीं है। इस संबंध में स्कूल संचालकों और वाहन स्वामियों को चेतावनी नोटिस जारी कर दी गई हैं। अगर तय समय में वाहन स्वामियों ने फिटनेस नहीं कराई तो फिर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। प्राथमिकी तक दर्ज कराई जा सकती है।
वाहन का शैक्षणिक संस्था के नाम से पंजीकृत होना चाहिए। स्कूल बसों की उम्र 15 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्रत्येक स्कूल बस में फर्स्ट-एड-बाक्स होना। हर बस में स्पीड कंट्रोल डिवाइस आवश्यक। स्कूल बस की खिड़की पर जाली होनी जरूरी। इन वाहनों में प्रेशर हार्न प्रतिबंधित। हर बस में सीएनजी लीकेज न होने का प्रमाण पत्र। बस में सीटिंग क्षमता से डेढ़ गुना से अधिक बच्चों को बैठाया जाना प्रतिबंधित। चालक का ड्राइविंग लाइसेंस कम से कम पांच साल पुराना होना जरूरी। स्कूल बस चालकों के बारे में अपराध का पुलिस वेरीफिकेशन होना आवश्यक है। बसों में एक अटेंडेंट आवश्यक है।
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