राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि विश्व के सबसे विशाल लोकतंत्र के सबसे बड़े राज्य के विधानमंडल के सदस्यों को संबोधित करते हुए मुझे बेहद हर्ष का अनुभव हो रहा है। अगर हम दुनिया के तीन लोकतांत्रिक देशों फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम की बात करें तो जितनी इन तीनों देशों की आबादी है उतनी सिर्फ उत्तर प्रदेश की आबाद है।
लखनऊ: राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने सोमवार को उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों की बैठक को संबोधित किया। इस दौरान राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने भी संयुक्त बैठक को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सदन में जो कुछ भी अमर्यादित हुआ, उसे अपवादस्वरूप भुला देना चाहिए। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच में वैचारिक मतभेद तो हो सकते हैं लेकिन वैमनस्य नहीं होना चाहिए।
बेहद हर्ष का हुआ अनुभव
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि विश्व के सबसे विशाल लोकतंत्र के सबसे बड़े राज्य के विधानमंडल के सदस्यों को संबोधित करते हुए मुझे बेहद हर्ष का अनुभव हो रहा है। अगर हम दुनिया के तीन लोकतांत्रिक देशों फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम की बात करें तो जितनी इन तीनों देशों की आबादी है उतनी सिर्फ उत्तर प्रदेश की आबाद है। उत्तर प्रदेश की 20 करोड़ से अधिक की आबादी अनेकता में एकता की हमारी सांस्कृतिक विशेषता का बहुत अच्छा उदाहरण हमारे सामने प्रस्तुत करती है।
राष्ट्रपति ने जनता को बताया भाग्य विधाता
राष्ट्रपति ने कहा कि विधानमंडल लोकतंत्र का मंदिर है और आप जनता के भाग्य विधाता हैं। जनता की आपसे बहुत सारी उम्मीदें, आकांक्षाएं और अपेक्षाएं हैं। जनप्रतिनिधियों को बिना भेदभाव के सभी के लिए काम करना चाहिए। आप उनके लिए भी काम करिए जिन्होंने आप को वोट देकर यहां भेजा है और उनके लिए भी उसी निर्विकार भाव से काम करिए जिन्होंने आप को वोट नहीं दिया है।
महिला सदस्यों की कमी पर जताया अशंतोष
विधानमंडल के दोनों सदनों में महिला सदस्यों की कम संख्या पर भी उन्होंने असंतोष जताया। महिला सदस्यों की संख्या बढ़ाने की संभावनाएं तलाशने पर भी जोर दिया।
अपनी वाराणसी यात्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें बाबा विश्वनाथ के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। काशी विश्वनाथ परिसर अब बदल गया है। उसे नया स्वरूप दिया गया है। महात्मा गांधी ने वर्ष 1916 में काशी विश्वनाथ मंदिर यात्रा के संदर्भ में वहां की संकरी गलियों और अव्यवस्था को लेकर जो असंतोष व्यक्त किया था, उसे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने दूर कर दिया है। यह भी कहने से नहीं चूके कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को अपने गृह नगर की तरह अपनाया है।
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