जानिए मुज़फ्फरनगर के रहने वाले फैज कैसे बन गए शिवभक्त, हरिद्वार से जलाभिषेक के लिए लेकर आए कांवड़

 मुजफ्फरनगर के कडली गांव का मूल निवासी फैज अब मेरठ में रहता है। फैज को 8 वर्ष पहले बाबा भोलेनाथ सपने में दिखाई दिए थे। जिसके बाद से वह बाबा का भक्त बनकर निरंतर भोलेनाथ के नाम से कांवड़ लाता है। फैज की मानें तो आस्था जाति-धर्म का बंधन नहीं है।

Asianet News Hindi | Published : Jul 24, 2022 1:40 PM IST

मुज़फ्फरनगर: श्रावण का महीना चल रहा है। ऐसे में सभी लोग शिव भक्ती मे लीन हैं। कांवड़िए यात्रा कर रहे हैं। ऐसे में एक अनोखा मामला सामने आया है। जिसमें एक मुस्लिम युवक को सपने में शव दिखाई दिए हैं। जिसके बाद से मुस्लिम युवक शिव भक्त हो गया और हरिद्वार से छठवीं कांवड़ लेकर आया है। जो शिवरात्रि को पुरामहादेव पर जलाभिषेक करेगा। 

8 साल पहले सपने में आए थे भगवान शिव
दरअसल मुजफ्फरनगर के फैज मोहम्मद की भगवान शिव में गहरी आस्‍था तब सामने आई जब 8 साल पहले उसे सपने में शिव शंकर भगवान दिखाई दिए। बस तभी से फैज शिव में आस्था रखते हुए कांवड़ ला रहा है और इस बार वह छठवीं कांवड़ लाया हैं।  शिव-भक्त फैज मौहम्मद मेरठ के काली पलटन औघड़नाथ मंदिर में हरिद्वार से पांच बार गंगाजल लाकर जलाभिषेक कर चुके हैं लेकिन इस बार छठवीं कावड़ में वह  पुरामहादेव पर जलाभिषेक करेगा।

'आस्था जाति-धर्म का बंधन नहीं है'
 मुजफ्फरनगर के कडली गांव का मूल निवासी फैज अब मेरठ में रहता है। फैज को 8 वर्ष पहले बाबा भोलेनाथ सपने में दिखाई दिए थे। जिसके बाद से वह बाबा का भक्त बनकर निरंतर भोलेनाथ के नाम से कांवड़ लाता है। फैज की मानें तो आस्था जाति-धर्म का बंधन नहीं है। यह मन और मोहब्बत का तालमेल है। 

भगवान आशुतोष का करेंगे जलाभिषेक 
इस बार फैज ने बागपत के पुरा महादेव में भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करने की ठानी है। फैज मौहम्मद ने बताया कि ये उनकी छठवीं कावड़ है। भोले शंकर उनके सपने में आये थे तो मैं हरिद्वार चला गया और इस बार पूरे सावन महादेव पर जल चढ़ाऊंगा। मैंने  पिछली पांच कांवड़ मेरठ काली पलटन पर चढाई थी। 

'हेलिकॉप्टर से बरसाए जा रहे फूल'
बता दें कि यूपी में हो रही कांवड़ यात्रा में मेरठ, सहारनपुर में कांवड़ियों पर हेलिकॉप्टर से फूल बरसाए जा रहे हैं। यूपी में भाजपा सरकार आने के बाद से लगातार कांवड़ियों पर आसमान से फूलों की बारिश की जा रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस नई परंपरा की शुरुआत की है। दो साल से कोरोना के कारण कांवड़ यात्रा बंद थी, इसलिए शिवभक्तों पर फूल नहीं बरसाए गए।

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