UP News: 25 नवम्बर को 'मांस रहित दिवस' के रूप में मनाई जाएगी साधु वासवानी की जयंती, मांस की दुकानें रहेंगी बंद

यूपी सरकार ने 25 नवम्बर को मनायी जाने वाली सिंधी समाज के संत साधु टीएल वासवानी की जयंती को मांस रहित दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। जिसके बाद यूपी के अपर मुख्य सचिव ने आदेश जारी करते हुए सभी नगर निकायों में स्थित मांस की दुकानों को बंद रखने का निर्णय लिया है। 

लखनऊ: सिंधी समाज(Sindhi society) के संत साधु टीएल वासवानी (Sadhu TL Vaswani) की गुरूवार को 25 नवम्बर को जयंती है। साधु वासवानी ने जीव हत्या(animal killing) बंद करने के लिए जीवन पर्यन्त प्रयास किया। जिसे देखते हुए यूपी सरकार(UP Government) ने 25 नवम्बर को शाकाहार दिवस(vegetarian day) के रूप में मनाने की घोषणा की है। लिहाजा, 25 नवम्बर के दिन सभी पशुवधशालाएं एवं मीट (Slaughterhouses and Meat) की दुकानें बंद रखने का निर्णय लिया गया है। 

महापुरुषों की जयंती व महापर्व की तरह मानेगी साधु वासवानी की जयंती
उत्तर प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव डॉ. रजनीश दुबे ने आदेश जारी करते हुए कहा कि महावीर जयंती, बुद्ध जयंती, गांधी जयंती एवं शिवरात्रि महापर्व की तरह टीएल वासवानी जयंती का दिन भी मांस रहित दिवस के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने लिखा कि 25 नवम्बर को साधु वासवानी की जयंती है, इस दिन को मांस रहित दिवस घोषित करते हुए प्रदेश सरकार ने राज्य की समस्त स्थानीय निकायों में स्थित पशुवधशालाओं व गोश्त की दुकानों को बंद रखने का निर्णय लिया है।

Latest Videos


सभी अफसरों को जारी हुआ आदेश
नगर विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दुबे ने यूपी के सभी जिलाधिकारियों, मंडलायुक्तों व नगर आयुक्तों को आदेश जारी करते हुए कहा कि 25 नवम्बर को मांस रहित दिवस के रूप में मनाने के लिए प्रदेश के भीतर आदेश का कड़ाई से पालन कराया जाए। 

कौन थे संत टीएल वासवानी 
साधु वासवानी का जन्म हैदराबाद में 25 नवम्बर 1879 में हुआ था। अपने भीतर विकसित होने वाली अध्यात्मिक प्रवृत्तियों को बालक वासवानी ने बचपन में ही पहचान लिया था। अपनी माता के विशेष आग्रह के कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। उनके बचपन का नाम थांवरदास लीलाराम रखा गया। सांसारिक जगत में उन्हें टी. एल. वासवानी के नाम से जाना गया तो अध्यात्मिक लोगों ने उन्हें साधु वासवानी के नाम से सम्बोधित किया। साधु वासवानी ने जीव हत्या बंद करने के लिए जीवन पर्यन्त प्रयास किया। वे समस्त जीवों को एक मानते थे। जीव मात्र के प्रति उनके मन में अगाध प्रेम था। जीव हत्या रोकने के बदले वे अपना शीश तक कटवाने के लिए तैयार थे। केवल जीव जन्तु ही नहीं उनका मत था कि पेड़ पौधों में भी प्राण होते हैं। उनकी युवको को संस्कारित करने और अच्छी शिक्षा देने में बहुत अधिक रूचि थी। वे भारतीय संस्कृति और धार्मिक सहिष्णुता के अनन्य उपासक थे।

Share this article
click me!

Latest Videos

तो क्या खत्म हुआ एकनाथ शिंदे का युग? फडणवीस सरकार में कैसे घटा पूर्व CM का कद? । Eknath Shinde
कुवैत के लिए रवाना हुए मोदी, 43 साल के बाद पहली बार यहां जा रहे भारतीय PM
जयपुर हादसे में सबसे बड़ा खुलासा: सच हिलाकर रख देगा, पुलिस भी हो गई शॉक्ड
चुनाव से पहले केजरीवाल ने खेला दलित कार्ड, लॉन्च की अंबेडकर स्कॉलरशिप योजना
Christmas Tradition: लाल कपड़े ही क्यों पहनते हैं सांता क्लॉज? । Santa Claus । 25 December