सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि मस्जिद के अंदर पूजा के मुकदमे की सुनवाई जिला न्यायाधीश द्वारा की जाए। वाराणसी के जिला न्यायाधीश मस्जिद समिति की याचिका पर फैसला करेंगे कि हिंदू पक्ष द्वारा मुकदमा चलने योग्य नहीं है और तब तक अंतरिम आदेश-शिवलिंग क्षेत्र की सुरक्षा, नमाज के लिए मुसलमानों को मुफ्त प्रवेश-जारी रहेगा।
वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद मामले को जिला न्यायाधीश वाराणसी को स्थानांतरित करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा के वरिष्ठ और अनुभवी न्यायिक अधिकारी मामले की सुनवाई करेंगे।
वाराणसी के जिला न्यायाधीश करेंगे फैसला
साथ ही इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि मस्जिद के अंदर पूजा के मुकदमे की सुनवाई जिला न्यायाधीश द्वारा की जाए। वाराणसी के जिला न्यायाधीश मस्जिद समिति की याचिका पर फैसला करेंगे कि हिंदू पक्ष द्वारा मुकदमा चलने योग्य नहीं है और तब तक अंतरिम आदेश-शिवलिंग क्षेत्र की सुरक्षा, नमाज के लिए मुसलमानों को मुफ्त प्रवेश-जारी रहेगा।
सभी पक्षों के हित को सुनिश्चित कराने का आदेश
कोर्ट ने कहा कि जिला जज के पास 25 साल का लंबा अनुभव है। इस मामले में सभी पक्षों के हित को सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही यह भी कहा कि यह न समझा जाए कि हम मामले को निरस्त कर रहे हैं। आपके लिए आगे भी हमारे रास्ते खुले रहेंगे।
'आदेश से बहुत खुश हैं'
हिंदू पक्ष के वकील अधिवक्ता विष्णु जैन ने बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मामले की सुनवाई जिला जज वाराणसी करेंगे। कोर्ट का कहना है कि शिवलिंग क्षेत्र की सुरक्षा के लिए 17 मई का उसका अंतरिम आदेश जारी रहेगा। वुजू की व्यवस्था की जाएगी। हम आदेश से बहुत खुश हैं।
कोर्ट में दाखिल की गई सर्वे रिपोर्ट
वाराणसी कोर्ट की तरफ से नियुक्त स्पेशल असिस्टेंट कमिश्नर अजय प्रताप सिंह ने सर्वे रिपोर्ट ट्रायल कोर्ट में पेश कर दी है। सर्वे रिपोर्ट 10-15 पेज की है। रिपोर्ट पेश करने से पहले कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह ने बताया कि रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में दिया गया है जिसमें वीडियो चिप भी दाखिल की है।
यह था मामला
बता दें कि कोर्ट में याचिका मुस्लिम पक्ष की ओर से डाली गई है। उनका कहना है कि मस्जिद में सर्वे कराने का कोई औचित्य नहीं है। वहीं हिंदू पक्ष ने भी इसपर अपना जवाब दाखिल कर दिया है।
हिंदू पक्ष की ओर से वकील विष्णु जैन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद एक मस्जिद नहीं है, क्योंकि मुगल सम्राट औरंगजेब ने इस भूमि पर किसी मुस्लिम या मुसलमानों के निकाय को जमीन सौंपने के लिए वक्फ बनाने का कोई आदेश पारित नहीं किया था। जवाब में कहा गया है कि इतिहासकारों ने पुष्टि की है कि इस्लामिक शासक औरंगजेब ने 9 अप्रैल 1669 को एक आदेश जारी किया था जिसमें उनके प्रशासन को वाराणसी में भगवान आदि विशेश्वर के मंदिर को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था।
आगरा में दोनों चरफ से चली गोलियां, पुलिस ने चार बदमाशों को धर दबोचा
यूपी में माफियाओं ने बेच डाली शिया वक्फ बोर्ड की जमीन, धड़ल्ले से तल रही अवैध प्लाटिंग