यूपी में अब वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जेल में होगी पेशी और ट्रायल, कोर्ट नहीं लाए जाएंगे केदी

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों पर नकेल कसने के लिए पेशी और ट्रायल को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कराने के निर्देश दिए हैं। यूपी की 72 जेल और 73 अदालतों में एक-एक एक्स्ट्रा वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्षों का निर्माण किया जाएगा। 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने जेल में बंद कैदियों पर नकेल कसने के लिए मार्डन प्रिजन वैन को हरी झंडी दिखाई हैं। अब कोर्ट में कैदियों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी। रिमांड, ट्रायल के लिए कैदियों को अदालत नहीं लाया जाएगा। इस दौरान कैदी बाहर की दुनिया देखने के लिए भी तरस जाएंगे। बता दें कि सीएम योगी ने इस संबंध में कारागार सुधार प्रशासन विभाग को निर्देश दिए हैं। इस व्यवस्था का सबसे पहले उपयोग उन अपराधियों पर किया जाएगा जो दुर्दांत प्रवत्ति के हैं। इसके बाद धीरे-धीरे सभी कैदियों पर यह नियम लागू किया जाएगा। सीएम ने उच्चस्तरीय बैठक में कहा कि वर्तमान समय में जेल में बंद अपराधियों की पेशी और ट्रायल को वीडियो कांफ्रेंसिंग से कराने के लिए यूपी की 72 जेल और 73 कोर्ट में एक-एक अतिरिक्त वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्षों के निर्माण की जरूरत है। 

5जी टेक्नोलॉजी का किया जाएगा प्रयोग
ऐसे में जल्द से जल्द इनका निर्माण कराया जाए। सीएम योगी ने कहा कि दुर्दांत माफिया की मैन्युअली कोर्ट में पेशी कराने के दौरान काफी खर्चा आता है। साथ ही पुलिस मैनपॉवर भी लगानी पड़ती है। पेशी पर आने के दौरान अपराधी अपने गुर्गों से मुलाकात कर नए अपराध को अंजाम देने के लिए साजिश रचते हैं। ऐसे में जब कैदियों की पैशी और ट्रायल वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए होगी तो इस तरह की समस्याओं से भी निजात मिल जाएगा। सीएम ने कहा कि वीडियो कांफ्रेंसिंग की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए 5जी टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाए। जिससे कि ट्रायल और पेशी के दौरान कोई समस्या ना हो। बता दें कि वीडियो कांफ्रेंसिंग सिस्टम लागू करने के लिए अलग से बजट दिया जाएगा। 

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आपराधिक घटनाओं पर लगेगा अंकुश
यूपी के डीजी जेल आनंद ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में कुल 72 जेल ऑपरेशनल हैं। इनमें से 62 जिला जेल, 7 सेंट्रल जेल, एक-एक नारी बंदी निकेतन, आदर्श कारागार और किशोर सदन हैं। वहीं इन जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की पेशी और ट्रायल राज्य की 73 अदालतों में होती है। साथ ही उन्होंने बताया कि अदालतों और जेलों में वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा पेशी के लिए एक-एक कक्ष है। वहीं कैदियों की संख्या अधिक होने के कारण पूरा दिन पेशी में चला जाता है। उन्होंने बताया कि शासन को एक-एक अतिरिक्त वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष के निर्माण के लिए पत्र लिखा गया था। जिस पर सीएम ने मुहर लगा दी है। डीजी जेल आनंद कुमार ने बताया कि इस फैसले के बाद तमाम तरह की आपराधिक घटनाओं पर भी रोक लगेगी। 

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