उत्तर प्रदेश सरकार 1.71 लाख हेक्टेयर ऊसर भूमि को 100 दिनों में बनाएगी खेती करने योग्य, 477.33 करोड़ होंगे खर्च

उत्तर प्रदेश सरकार ने ऊसर भूमि को खेती योग्य बनाने के लिए राज्य में तेजी के साथ काम करना शुरू करने जा रही है। इसके लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना के अंतर्गत 477.33 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

Pankaj Kumar | Published : Apr 17, 2022 8:19 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार सौ दिनों के रोडमैप को तैयार करते हुए हर विभाग में लक्ष्य के साथ काम कर रही है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार 100 दिनों में 1.71 लाख हेक्टेयर ऊसर भूमि को सुधार कर कृषि करने के योग्य बनाएगी। राज्य में खेती योग्य भूमि का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए सरकार तेजी के साथ काम शुरू करने जा रही है। इसके लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना के अंतर्गत 477.33 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

100 दिनों का कार्ययोजना में होगी लागू
राज्य में एक सर्वेक्षण के आधार पर परियोजना क्षेत्रों में औसतन 8.58 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन में वृद्धि हुई है। इससे लगभग 48.53 प्रतिशत आय में वृद्धि भी देखी गई और भूगर्भ जल स्तर में 1.42 मीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सरकार जैविक क्लस्टर को बढ़ावा देने के लिए कुल 4784 क्लस्टर बनाए हैं। जिसमें से 95,680 हेक्टेयर भूमि पर जैविक खेती की जा रही है। इसमें करीब 1.75 लाख किसानों को जोड़ा गया है। इस नीति में तीन-वर्षीय कार्यक्रम के अंतर्गत एक क्लस्टर में लगभग 50 किसान जोड़े जाते हैं। आगामी 100 दिनों की कार्ययोजना के तहत मिशन प्राकृतिक खेती के अंतर्गत भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति योजना को प्रदेश के 35 जिलों में लागू किया जाएगा।

गो आधारित प्राकृतिक खेती की जाएगी
भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति योजना को प्रदेश के 35 जिलों में लागू करने के लिए विकास खंड स्तर पर 500 से एक हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल के क्लस्टर का गठन होगा। इस योजना को खरीफ 2022 से शुरू किया जाएगा। जिसमें करीब 82.83 करोड़ खर्च किए जाएंगे। बुंदेलखंड के जिलों में गो आधारित प्राकृतिक खेती की जाएगी। 

पराली दो और खाद लो अभियान का दिखा असर
उत्तर प्रदेश सरकार ने पराली दो और खाद लो अभियान का काफी अच्छा प्रदर्शन रहा है। यूपी सरकार ने पराली प्रबंधन के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय काम किया है। किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। प्रदेश में पराली को गोशालाओं में चारे के रूप में आपूर्ति किए जाने के लिए पराली दो-खाद लो अभियान का असर दिखने लगा है। यही वजह है कि पिछले पांच वर्षों में प्रति लाख हेक्टेयर धान के क्षेत्रफल में पराली जलाने की प्रदेश में औसत 71 घटनाएं सामने आईं हैं। 

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