Inside Story: सातवें चरण में गेम चेंजर बनकर सामने आ सकते हैं छोटे दल, ये रहा था 2017 का आंकड़ा

सातवें चरण की जिन 54 सीटों पर चुनाव होने हैं उनमें इस वक़्त अपना दल के पास चार, सुभासपा के पास तीन, और निषाद पार्टी के पास एक सीट है। कभी भाजपा की हितैषी रही ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा इस बार समाजवादी पार्टी के साथ चुनावी मैदान में है। इस चरण में सुभासपा की भी परीक्षा है। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 4, 2022 8:35 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के आखिरी सातवें चरण भी बहुत महत्वपूर्ण है। महत्वपूर्ण इस लिहाज से हैं कि इन दो चरणों में असली परीक्षा मुख्य दलों के साथ साथ उन छोटे दलों की है, जिन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नई कहानी लिखनी शुरू की। इन दलों में अपना दल, सुभासपा और निषाद पार्टी तो शामिल हैं। सातवें चरण की जिन 54 सीटों पर चुनाव होने हैं उनमें इस वक़्त अपना दल के पास चार, सुभासपा के पास तीन, और निषाद पार्टी के पास एक सीट है। कभी भाजपा की हितैषी रही ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा इस बार समाजवादी पार्टी के साथ चुनावी मैदान में है। इस चरण में सुभासपा की भी परीक्षा है। 

2017 के चुनाव में ये रहे थे आंकड़े
दरअसल, छोटे दलों की ताकत पूर्वांचल में 2017 के चुनावों में खूब उभरकर सामने आई। 2017 में विधानसभा चुनावों के परिणाम तो कम से कम यही तस्दीक करते हैं। सातवें चरण की जिन 54 सीटों पर चुनाव होने हैं उनमें इस वक़्त अपना दल के पास चार, सुभासपा के पास तीन, और निषाद पार्टी के पास एक सीट है। जबकि असली परीक्षा तो इन छोटे दलों की पांचवें चरण से ही शुरू हो गई थी। जिसमें संजय चौहान की जनवादी पार्टी और कृष्णा पटेल की अपना दल की सियासी ताकत की जोर आजमाइश भी हुई। 2017 के विधानसभा चुनावों में इन 57 सीटों में से भाजपा के पास 46 सीटें आईं थीं। जबकि समाजपार्टी के पास दो, बहुजन समाज पार्टी के पास पांच सीटें और कांग्रेस को एक सीट मिली थी। वहीं एक सीट अपना दल के अलावा अन्य को भी एक सीट मिली थी। यही वजह है कि भाजपा ने 2022 के चुनावों से पहले भूमिका बनाने में अपनी पूरी ताकत पश्चिम की तुलना में पूर्वांचल में ज्यादा लगा दी थी। 

Latest Videos

54 सीटों पर एक तरफा जीत मिलना मुश्किल
राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक उत्तर प्रदेश चुनाव के सातवें चरण मे मुख्यता वे जिले हैं जहां न केवल भाजपा और सपा के सहयोगी दल सक्रिय हैं, बल्कि कुछ अन्य दल भी अलग-अलग जगहों में मजबूत होने का दावा कर रहे हैं। ऐसे मे इस चरण की 54 सीटों पर किसी एक दल को एकतरफा जीत मिलना मुश्किल लगता है। सहयोगी दलों की असली ताकत का अंदाज भी इस चरण मे हो जाएगा। बता दें कि सातवें चरण में 9 जिलों की 54 सीटों पर 7 मार्च को वोटिंग होगी। वहीं आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, संत रविदास नगर, चंदौली, मिर्जापुर और सोनभद्र जिले शामिल है।
 

Share this article
click me!

Latest Videos

Hezbollah में जो लेने वाला था नसरल्ला की गद्दी, Israel ने उसे भी ठोका
साल का सबसे बड़ा एनकाउंटर, सुरक्षाबलों ने छत्तीसगढ़ में बिछा दी नक्सलियों की लाशें
'घंटा-शंख से परेशानी है तो कान बंद कर लो', Yogi ने किसे बताया चंड-मुंड और महिषासुर
Rahul Gandhi LIVE: राहुल गांधी का हरियाणा के महेंद्रगढ़ में जनता को संबोधन।
चाणक्य: 4 चीजों में महिलाओं की बराबरी नहीं कर सकते हैं पुरुष #Shorts