
लखनऊ: विधानसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही एक और चुनाव की बिसात बिछ गयी है। अब वोटिंग एमएलसी चुनाव (UP MLC Elections 2022) के लिए होगी यानी विधानपरिषद के सदस्य के चुनाव के लिए। ये भी विधायक होते हैं। अंतर बस इतना है कि इन्हें आम जनता नहीं चुनती है और इनका कार्यकाल पांच साल के बजाय छः साल के लिए होता है। एमएलसी की 36 सीटों के लिए चुनाव 9 अप्रैल को होंगे। आगे बढ़ने से पहले एक कन्फ्यूज़न दूर कर देना जरूरी है। सीटों की संख्या 35 है या 36, इसे लेकर थोड़े भ्रम की स्थिति है। चुनाव आयोग ने 35 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अधिसूचना जारी की है। वैसे तो हर निर्वाचन क्षेत्र से एक एमएलसी चुना जायेगा। एक निर्वाचन क्षेत्र में दो जिले भी हो सकते हैं। प्रदेश में एक निर्वाचन क्षेत्र ऐसा भी है जिसमें चार जिले हैं। ये क्षेत्र है एटा-मथुरा-मैनपुरी – कासगंज। इस एक निर्वाचन क्षेत्र से दो एमएलसी चुने जाते हैं। इसीलिए निर्वाचन क्षेत्र तो कुल 35 हुए लेकिन, विधायक 36 चुने जायेंगे।
जानिए कौन दे सकता है इस चुनाव में वोट
36 विधायकों का चुनाव वे लोग करेंगे जिन्हें जनता ने पहले से चुना हुआ है। 9 चुने हुए जनप्रतिनिधि इसमें वोटिंग करेंगे। ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर पालिकाओं के सदस्य और नगरपालिकाओं के चेयरमैन। इसके अलावा विधानसभा में चुने गये विधायक भी वोट करेंगे। वोटिंग जिलों जिलों में एक या दो जगहों पर होगी। एमएलसी चुनाव में करीब डेढ़ लाख वोटर होंगे, जबकि करीब 1000 बूथों पर मत डाले जाएंगे। इस चुनाव में चुनाव निशान नहीं होते बल्कि उम्मीद्वार के नाम के आगे पहली प्राथमिकता लिखनी होती है। जिस उम्मीद्वार को पहली प्राथमिकता सबसे ज्यादा मिलती है वो जीत जाता है।
सपा ने कफील खान को बनाया प्रत्याशी
जिन 36 सीटों पर चुनाव होने हैं उनमें से 30 सीटें अभी तक समाजवादी पार्टी के पास थीं। इनमें से कई अखिलेश यादव के बेहद करीबी चेहरे रहे हैं। मसलन उदयवीर सिंह, सुनील सिंह साजन, आनन्द भदौरिया, पुष्पराज जैन। हालांकि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले कई एमएलसी ने सपा छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर लिया था. बहुत जल्द सभी उम्मीद्वारों के नाम सामने आ जायेंगे। सपा ने फिलहाल देवरिया निर्वाचन क्षेत्र से डॉ कफील खान का नाम घोषित किया है. डॉ कफील खान तब चर्चा में आये थे जब गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत हुई थी। सरकार ने इसके लिए कफील खान को जिम्मेदार ठहराया था। उनपर न सिर्फ मुकदमा दर्ज किया गया था बल्कि उन्हें नौकरी से बर्खास्त भी कर दिया गया था। कफील खान खुद को बेकसूर बताते रहे हैं. उसी समय से योगी सरकार और कफील खान में अदालती जंग चल रही है। अब सपा ने उन्हें विधान परिषद भेजने का फैसला लिया है बशर्ते वे जीत जायें।
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