यूपी के कुशीनगर में हुए खौफनाक हादसे के बाद गांव के बुजुर्गों ने कहा कि अपने जीवन में ऐसा मंजर उन्होंने पहले नहीं देखा। ग्रामीण बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भी उन्होंने इतनी लाशों को एक साथ श्मशान में जलते नहीं देखा था।
अनुराग पाण्डेय
कुशीनगर: बुधवार की वो खौफनाक रात, चींख पुकार और 13 मौतें ऐसा दर्दनाक हादसा कभी किसी ने ना देखा था न किसी ने ऐसा कोई किस्सा सुना था। कुशीनगर के नौरंगिया गांव के 20 साल के युवा से लगाए 80 वर्ष के वृद्ध इस बात को बार—बार दोहरा रहे हैं। यहां के लोगों का कहना है कि इससे पहले श्मशान घाट पर कभी भी एक साथ इतनी लाशें नहीं जली थीं। कोरोना की दूसरी लहर में जब श्मशानों में चिताएं जलाने की जगह भी नहीं बची थी, उस वक्त भी इस गांव में एक दिन में कभी भी एक लाश से अधिक जलते किसी ने नहीं देखा। गुरूवार को एक साथ इतनी चिताएं देख वहां मौजूद हर शख्स की आंखे भरी की भरी रह गईं। एक साथ 10 परिवारों के 13 मृतकों के परिवार वालों की चीख कई कोस दूर तक सुनाई दे रही थी। इस खौफनाक मंजर को जो भी देखा वो वहीं ठहर गया। दर्द का पहाड़ इस कदर टूटा है कि परिवार को ढांढस बंधाने वाले भी अपने आंसूओं को रोक नहीं पा रहे हैं।
रेस्क्यू कर निकाला गया कुएं से 13 टैंकर पानी
गुरुवार की दोपहर सभी मृतकों का कुशीनगर के पनिहवा घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। 5 हजार आबादी वाले नौरंगिया गांव में हुई एक साथ 13 मौतों के बाद अंतिम संस्कार के वक्त करीब एक लाख लोगों का भारी हुजूम उमड़ पड़ा। उधर, बुधवार की रात हुए इस हादसे के बाद से ही इस गांव के लोगों ने कभी ऐसा खौफनाक मंजर नहीं देखा। गुरुवार को एक ओर 13 मृतकों का अंतिम संस्कार हो रहा था तो दूसरी ओर हादसे वाले कुएं से रेस्क्यू टीम ने 13 टैंकर पानी निकाल का लाशें खोज रही थी। हालांकि इससे पहले इस कुएं से 13 शव बरामद किए जा चुके हैं। जिला प्रशासन का कहना है कि अब कुएं में अन्य कोई भी लाश बचे होने की संभावना नहीं है।
पांच साल पहले भी 17 फरवरी को यहां हुई थींं मौतें
इसे इत्तेफाक कहें या कोई टोटका, लेकिन इस गांव में आज से ठीक 5 साल पहले भी एक बड़ा हादसा हुआ था। जिसमें उस वक्त भी 6 लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी। ठीक 5 साल पहले आज के दिन यानी कि 17 फरवरी 2017 को भी इस गांव में एक बड़ा हादसा हुआ था। खास बात यह थी कि उस वक्त भी 2017 का विधानसभा चुनाव ही चल रहा था। जबकि आज भी चुनाव चल रहा है। इस गांव में एक बारात आई थी। उसी वक्त पशु तस्करों की पिकअप का पीछा करते हुए पुलिस की गाड़ी भी गांव में दाखिल हुई। तस्कर पुलिस की घेराबंदी में फंस गए और खुद को बचाने के लिए बारातियों को रौंदते हुए फरार हो गए। इस हादसे में भी 6 लोगों की मौत हुई थी।