Exclusive: सपा से गठबंधन के बाद चाचा शिवपाल के हाथ में 5 सीट, बड़ी संख्या में BJP के विधायक थामेंगे SP का दामन

सूत्रों के मुताबिक, प्रसपा के तीन अन्य कंडीडेट सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। गाजीपुर जिले की एक सीट पर प्रसपा  प्रत्याशी सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ेगा चुनाव। आचार संहिता के बाद अनुप्रिया पटेल से गठबंधन का भी ऐलान हो सकता है। वहीं चंद्रशेखर से भी सपा का गठबंधन होगा, दो सीट मिलेगी। एक और बड़ी बात सामने आ रही है कि आचार संहिता के बाद बीजेपी के 30 विधायक सपा का दामन थाम सकते हैं। 

लखनऊ: अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) के एक होने के बाद असल सवाल सीटों को लेकर उठ रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि सीटों पर भी ऐलान हो चुका है बस घोषणा होना बाकी है। चाचा शिवपाल के पाले में 5 सीट आने की बात सामने आ रही है। वहीं, शिवापल और उनके बेटे प्रसपा के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। 

सूत्रों के मुताबिक, प्रसपा के तीन अन्य कंडीडेट सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। गाजीपुर जिले की एक सीट पर प्रसपा  प्रत्याशी सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ेगा चुनाव। आचार संहिता के बाद अनुप्रिया पटेल से गठबंधन का भी ऐलान हो सकता है। वहीं चंद्रशेखर से भी सपा का गठबंधन होगा, दो सीट मिलेगी। साथ ही माना जा रहा है कि इस बार बीजेपी मौजूदा कई विधायकों का टिकट काट सकती है। सूत्र तो यह भी कह रहे हैं कि बीजेपी के ऐसे करीब 30 विधायक नाराजगी की वजह से सपा का दामन थाम सकते हैं।

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गठबंधन के बाद से सियासत गरमाई
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए चाचा-भतीजे में सुलह की खबर के बाद यूपी की राजनीति गरमा चुकी है। अखिलेश यादव ने ट्विटर पर चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ तस्वीर पोस्ट करते हुए जानकारी दी थी कि प्रगतिशील सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मुलाकात हुई और गठबंधन की बात तय हुई। इसके बाद से ही विपक्ष लगातार हमलावर हो गया था। बता दें कि क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति समाजवादी पार्टी को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा व अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है। समाजवादी पार्टी में पड़ी फूट के बाद शिवपाल सिंह यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन कर लिया था। 

60 से 70 सीटों पर शिवपाल का असर
शिवपाल यादव पश्चिम, अवध और बुंदेलखंड के करीब 10 जिलों की 60 से 70 सीटों पर असर रखते हैं। इसके पीछे वजह ये है कि उनका अभी भी सहकारी समितियों पर कब्जा है। साथ ही वह अपने कोर वोट बैंक यादव को भी सहेज कर चल रहे हैं। उनकी पकड़ यूपी के 9% यादव वोट बैंक पर है।

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