
लखनऊ (उत्तर प्रदेश). यूपी से लेकर बिहार तक गंगा नदी में शवों के मिलने का सिलसिला जारी है। कई जिलों में नदियों में शव बहाए जाने के बाद उन्नाव में गंगा नदी के किनारे रेत में शव दफन की जा रहे हैं। अब इस मामले को प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। साथ ही सीएम योगी ने गंगा की निगरानी के आदेश भी दिए हैं। जिसके चलते अब गंगा में शव प्रवाहित करना दंडनीय अपराध है।
गंगा में शव प्रवाहित दंडनीय अपराध
दरअसल, राज्य सरकार के संज्ञान लेने के बाद अब कानपुर कमिश्नरेट और कानपुर आउटर पुलिस अपने-अपने क्षेत्रों में गंगा की निगरानी करेगी। इसके लिए एसडीआरएफ भी किनारे पर तैनात रहेगी। वहीं भैरव घाट पर पुलिसकर्मी लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। कर्नलगंज के ACP ने बताया कि हम सभी घाटों पर अवगत करा रहे हैं कि अगर कोई दाह संस्कार करने में असमर्थ है तो पुलिस टीम अंतिम संस्कार कराएगी। लेकिन कोई गंगा में शव प्रवाहित करता हुआ मिला तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। अब गंगा में शव प्रवाहित करना दंडनीय अपराध है।
इन जगहों पर मिले सैंकड़ों शव
बता दें कि कानपुर, उन्नाव, कन्नौज, गाजीपुर और बलिया की तरह गंगा किनारे सैकड़ों की संख्या में दफन लाशें मिलीं हैं। वहीं रायबरेली में गेगासो गंगा घाट पर रेत में करीब 200 से ज्यादा शव मिले थे। वाराणसी, चंदौली बॉर्डर पर स्थित सुजबाद गांव के किनारे भी गंगा नदी में शव मिले हैं। प्रयागराज के फाफामऊ गंगा घाट के किनारे भी बड़ी संख्या में दफन शव मिले हैं।
विपक्षी नेताओं ने राज्य सरकार पर साधा निशाना
गंगा और नदी में शव मिलने के बाद पूर्व सीएम और सपा प्रमुख अखिनेश यदाव ने राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जो शव तैर रहे हैं उनकी कोई संख्या नहीं, बस वह किसी के माता-पिता तो किसी के भाई बहन हैं। सरकार की इसकी जवाबदेही होनी चाहिए, लेकिन वह कोरोनाकाल में विफल हो चुकी है। वहीं साथ ही कांग्रेस नेता और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने यूपी में गंगा नदी में तैर रहे शवों की न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने कहा है कि जो हुआ वह अमानवीय और अपराधिक है।
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