याचिकाकर्ता के मुताबिक, राज्य सरकार ने प्रदेश में आपात चिकित्सा परिवहन सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए करीब 4,515 एंबुलेंस की खरीद की थी और इन एंबुलेंस को निर्बाध रूप से चलाने के लिए राज्य सरकार ने सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ एक समझौता किया था जिसका उद्देश्य केंद्रीयकृत काल सेंटर के जरिए इन एंबुलेंस को चलाना और चालक एवं तकनीकी कर्मचारी समेत श्रमबल उपलब्ध कराना था।
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में कोरोना (Corona) के बढ़ते मामले के मद्देनजर प्रदेश में एंबुलेंस सेवा (Ambulance Service) को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा है कि एंबुलेंस 108 और 102 में पर्याप्त संख्या में चालक, कर्मचारी और सुविधाएं मुहैया कराई गई है या नहीं। साथ ही इस संबंध में उठाये गये कदमों की विस्तृत जानकारी भी मांगी है। मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की पीठ ने भारतीय मजदूर संघ द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता ने उठाए थे एंबुलेंस सेवा पर सवाल
याचिकाकर्ता के मुताबिक, राज्य सरकार ने प्रदेश में आपात चिकित्सा परिवहन सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए करीब 4,515 एंबुलेंस की खरीद की थी और इन एंबुलेंस को निर्बाध रूप से चलाने के लिए राज्य सरकार ने सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ एक समझौता किया था जिसका उद्देश्य केंद्रीयकृत काल सेंटर के जरिए इन एंबुलेंस को चलाना और चालक एवं तकनीकी कर्मचारी समेत श्रमबल उपलब्ध कराना था।
याचिका के मुताबिक कोरोना महामारी फैलने पर एंबुलेंस कर्मचारियों की 24 घंटे जरूरत पड़ सकती है और 8 घंटे की पाली बनाए रखने के लिए 102 और 108 एंबुलेंस सेवा को करीब 27,090 चालकों और तकनीकी कर्मचारियों की जरूरत है जबकि सर्विस प्रोवाइडर कंपनी द्वारा केवल 6,000 चालकों और तकनीकी कर्मचारियों को काम पर रखा गया है।
कोरोना की तीसरी लहर को लेकर एंबुलेंस की क्या तैयारियां
याचिका में कहा गया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कई एंबुलेंस चालक संक्रमित हो गए थे और 14 दिनों तक क्वारंटाइन में थे, यदि ऐसी स्थिति फिर से पैदा होती है तो उसके लिए राज्य सरकार और सर्विस प्रोवाइडर्स को पर्याप्त संख्या में कर्मचारी सुनिश्चित करना चाहिए। याचिकाकर्ता ने प्रत्येक एंबुलेंस के लिए कम से कम 3 चालकों और 3 तकनीकी कर्मचारियों की नियुक्ति 8 घंटे की नियमित पाली के लिए सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 14 फरवरी, 2022 तय की है।
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