
लखनऊ: मरणोपरांत पूर्व मुख्यमंत्री एवं राम मंदिर आंदोलन के नायक कल्याण सिंह को सोमवार को पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शाम पांच बजे पद्म विभूषण से बाबूजी (कल्याण सिंह) को सम्मानित करेंगे।
बाबूजी के प्रतिनिधि के रूप में राजवीर सिंह राजू भैया सम्मान प्राप्त करेंगे। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर स्व. कल्याण सिंह को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित करने की घोषणा की गई थी।
पाँच जनवरी 1935 में हुआ था जन्म
अलीगढ़ ज़िले की अतरौली तहसील के मढ़ौली गाँव में पाँच जनवरी 1935 को एक साधारण किसान परिवार में जन्मे कल्याण सिंह बचपन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गये थे। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने अध्यापक की नौकरी की और राजनीति भी जारी रखी। वे साल 1967 में जनसंघ के टिकट पर अतरौली सीट से पहली बार विधानसभा पहुँचे और साल 1980 तक लगातार इस सीट से जीतते रहे। इस बीच, जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया और साल 1977 में उत्तर प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनने पर उन्हें राज्य का स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया।
30 अक्टूबर, 1990 को मुलायम सिंह यादव के यूपी के मुख्यमंत्री रहते हुए अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाई गई जिसमें कई कारसेवकों की मौत हो गई। बीजेपी ने उनका मुक़ाबला करने के लिए कल्याण सिंह को आगे किया। कल्याण सिंह ने महज़ एक साल में बीजेपी को उस स्थिति में ला दिया कि पार्टी ने 1991 में पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली। मुख्यमंत्री बनने के बाद कल्याण सिंह ने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ अयोध्या का दौरा किया और राम मंदिर का निर्माण करने के लिए शपथ ली थी।
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