बीजोपी और सपा के बीच में सीधे टक्कर देखने को मिल रही हैं। दोनों ही दलों ने एक दूसरे पर जमकर हमला बोला है। जमसभाओं में बार दोनों दलों की तरफ से नेताओं के बिगड़े बोल भी सामने आए। लेकिन इन सबके बीच कुछ मुद्दे ऐसे भी थे जो प्रचार के दौरान सबका ध्यान अपनी तरफ खीचने में कामयाब रहे।
फ्री राशन, आवारा पशुओं, बुलडोजर, चर्बी-गर्मी, परिवारवाद और आतंकवाद के मुद्दे दो महीनों के इस हलचल भरे दिनों में सुर्खियां बने रहे।
आशीष सुमित मिश्रा
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 अपने निर्णनायक मोड पर पहुंच चुका है। शनिवार को सातवें चरण के लिए चुनाव प्रचार खत्म हो गया। 7 मार्च का अंतिम चरण का मतदान होना है। इसके बाद 10 मार्च को पार्टियों की किस्मत का फैसला हो जाएगा।
बीजोपी और सपा के बीच में सीधे टक्कर देखने को मिल रही हैं। दोनों ही दलों ने एक दूसरे पर जमकर हमला बोला है। जमसभाओं में बार दोनों दलों की तरफ से नेताओं के बिगड़े बोल भी सामने आए। लेकिन इन सबके बीच कुछ मुद्दे ऐसे भी थे जो प्रचार के दौरान सबका ध्यान अपनी तरफ खीचने में कामयाब रहे।
फ्री राशन, आवारा पशुओं, बुलडोजर, चर्बी-गर्मी, परिवारवाद और आतंकवाद के मुद्दे दो महीनों के इस हलचल भरे दिनों में सुर्खियां बने रहे।
फ्री राशन
बीजेपी की तरफ से चुनाव प्रचार के दौरान इस मुद्दे को जमकर उठाया गया। खासतौर पर पूर्वांचल की तरफ। ये मुद्दा बीजेपी को इस चुनाव में बड़ा फायदा करा सकता है। वहीं सपा को बड़ा नुकसान। दरअसल बीजेपी ने कोरोना काल में गरीबों के फ्री राशन बांटने का काम किया और ये राशन महीने में 2 बार दिया जाता है। बाद में तेल, नमक बांटने का काम भी किया गया। कई बार पीएम मोदी भी फ्री राशन बांटने के मुद्दे पर बोलते नजर आए। फ्री राशन का मुद्दा अखिर के 3 चरणों मे बड़ा असर डाल सकता है।
आवारा पशु
आवारा पशुओं का मुद्दा इस बार सुर्खियों में बना रहा। किसानों का बड़ी समस्या थी। जिसको सरकार शुरु से ही नजरअंदाज करती नजर आई। आलम ये हुआ की चुनाव के दौरान किसानो का ये बड़ा मुद्दा बन कर सामने आया। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर जमकर सरकार पर जमकर हमला बोला। दरअसल यूपी में बीते कुछ सालों से आवारा पशुओं की समस्या देखने को मिली हैं। गावों में आवारा पशुओं ने खेतों में फसल को नुकसाम पहुंचाया है। जिससे किसानों को नुकसान हुआ। किसान रात भर जाग कर छुट्टा जानवरों से अपनी फसल बचाते हैं। वहीं आवारा पशुओं की वजह से कई सड़क हादसे भी देखने को मिले हैं।
बुलडोजर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा चुनाव शुरू होते ही विकास के रास्ते में आने वालों पर बुलडोजर चलवाने सम्बंधी बयान को विपक्षी दल उन पर काफी हमलावर रहे। मगर भाजपा के साथ योगी आदित्यनाथ भी अपने बुलडोजर एक्शन को सही बताते हुए जनसमर्थन हासिल करने पर डटे रहे। नौबत तो यहां तक आ गयी कि मुख्यमंत्री की चुनावी सभाओं में प्रत्याशियों व उनके समर्थकों की ओर से मंच के बगल में बुलडोजर खड़ा करवाया जाने लगा। मुख्यमंत्री इस दृश्य को देखकर काफी खुश होते थे।
दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनाव के शुरूआती दौर में एक रैली में कहा था-'हमारे पास एक विशेष मशीन है जिसका इस्तेमाल हम एक्सप्रेस वे और राजमार्ग बनाने के लिए कर रहे हैं, साथ ही इसका इस्तेमाल माफिया को कुचलने के लिए कर रहे हैं, जिन्होंने अपनी सम्पत्ति बनाने के लिए लोगों का शोषण किया।' भाजपा नेता अक्सर अपने भाषणों में आजम खान, मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद का जिक्र करते। राज्य सरकार ने इन तीनों नेताओं की कई अवैध सम्पत्तियों पर कब्जा किया और उन पर बुलडोजर चलवाए। हाल ही में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री के इस बुलडोजर सम्बंधी बयान पर तंज कसते हुए कहा है कि चुनाव के बाद बुलडोजर बाबा अब खाली होकर बुल और डॉग से खेलेंगे...।
चर्बी-गर्मी
इस बार के विधान सभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक बयान गर्मी निकाल देने पर आया तो राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने वोटरों से कहा कि अबकी बार बटन ऐसा दबाओ कि भाजपा की जो चर्बी बढ़ रही है सारे नेताओं की चर्बी आप उतार दो। इसके बाद तो चर्बी और गर्मी का यह मामला चुनावी मुद्दा ही बन गया। दरअसल बीती 30 जनवरी को पश्चिमी यूपी में अपनी सभाओं में सीएम योगी ने कहा था कि ये गर्मी जो अभी कैराना और मुजफ्फरनगर में कुछ दिखाई दे रही है न, यह सब 10 मार्च के बाद शांत हो जाएगी। गर्मी कैसे शांत होगी? यहां तो मैं मई और जून में भी शिमला बना देता हूं। सीएम के इस बयान पर पलटवार करते हुए रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि योगी बाबा जो कह रहे हैं कि इनकी गर्मी निकाल दूंगा और मई-जून में शिमला जैसी ठंड महसूस होगी। मुझे लग रहा है कि पिछले हफ्ते जो शीतलहर आयी थी इनका माथा बहुत बड़ा है, इनको ठंड लग गयी। अबकी बार बटन ऐसा दबाओ कि भाजपा नेताओं की चर्बी उतार दो आप। इसी क्रम में कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि जो लोग गर्मी और चर्बी निकालने की बात कर रहे हैं वह भर्ती निकालने की बात क्यों नहीं करते?
परिवारवाद
चुनाव के दरम्यान परिवारवारवाद का मुद्दा भी खूब गरमाया। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा के कई बड़े नेताओं के परिजनों को उम्मीदवार बनाया गया। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस मुद्दे पर बयान देने से नहीं चूके। बीती 28 फरवरी को महाराजगंज की चुनावी सभाओं में सपा व कांग्रेस पर प्रहार करते हुए कहा कि इन परिवारवादियों को कहीं आना जाना होता है तो इनके पास बड़ी गाड़ियां होती हैं, पलक झपकते ही हवा में उड़ सकते हैं लेकिन गरीब को तो जमीन पर ही रहना होता है। उन्होंने कहा कि परिवारवाद की पालिटिक्स करने वाले यूपी को मजबूत नहीं बना सकते।
आतकंवाद
इन चुनावों में आतकंवाद का भी मुद्दा गरमाया। भाजपा ने आरोप लगाया कि अहमदाबाद बम धमाकों के मामले में जिन 38 दोषियों को फांसी की सजा दी गयी है उनमें से एक के परिवार का सम्बंध सपा मुखिया अखिलेश यादव से है। यूपी में भाजपा के चुनाव प्रभारी व केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने नई दिल्ली में एक प्रेस वार्ता में आरोप लगाया कि लखनऊ, रामपुर समेत कई जिलों में हुए बम विस्फोट के आरोपियों को सपा ने ही बचाया। उन्होंने अहमदाबाद बम धमाके के मामले में फांसी की सजा पाने वाले मोहम्मद सैफ का जिक्र करते हुए कहा कि सैफ के पिता शादाब अहमद और सपा प्रमुख अखिलेश यादव एक फोटो में साथ खड़े नजर आते हैं, मीडिया में उन्होंने यह फोटो जारी भी की।