प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोड शो खत्म होने के कुछ देर बाद रात आठ बजे से अखिलेश के कार्यक्रम की शुरुआत तीर्थ नगरी के रथयात्रा चौराहे से हुई। दो किलोमीटर के रोड शो की शुरुआत करने के कुछ देर बाद अखिलेश यादव ने एक वीडियो साझा करते हुए ट्वीट किया, '' काशी की रात का ये ऐतिहासिक सफर, राजनीतिक चेतना की एक नयी 'सुबह-ए-बनारस' की ओर ले जाएगा।
वाराणसी: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सात मार्च को होने वाले मतदान के लिए अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में शुक्रवार देर शाम वाराणसी में रोड शो किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोड शो खत्म होने के कुछ देर बाद रात आठ बजे से अखिलेश के कार्यक्रम की शुरुआत तीर्थ नगरी के रथयात्रा चौराहे से हुई। दो किलोमीटर के रोड शो की शुरुआत करने के कुछ देर बाद अखिलेश यादव ने एक वीडियो साझा करते हुए ट्वीट किया, '' काशी की रात का ये ऐतिहासिक सफर, राजनीतिक चेतना की एक नयी 'सुबह-ए-बनारस' की ओर ले जाएगा।
अपने समाजवादी रथ के ऊपर खड़े होकर सपा अध्यक्ष तीन विधानसभा क्षेत्रों कैंट, वाराणसी उत्तर और वाराणसी दक्षिण में घूमे। उनके साथ संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों के पार्टी के तीन उम्मीदवार-पूजा यादव, अशफाक अहमद डबलू और किशन दीक्षित थे। सपा प्रमुख के रोड शो में भी प्रधानमंत्री के समान तीन विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया गया। हालांकि उनका मार्ग मोदी द्वारा अपने 3.1 किलोमीटर के रोड शो में लिए गए मार्ग से अलग है।
सपा जिलाध्यक्ष विष्णु शर्मा ने कहा था कि उन्होंने पार्टी प्रमुख के कार्यक्रम के लिए शाम 5 बजे से 10 बजे तक अनुमति मांगी थी, लेकिन जिला प्रशासन ने समय में कटौती की और रात 8 बजे से रात 10 बजे तक कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दी। समाजवादी पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से वाराणसी में अखिलेश यादव के रोड शो को समाजवादी पार्टी की विजय यात्रा करार देते हुए ऐतिहासिक जनसैलाब उमड़ने का दावा किया। सपा ने एक और ट्वीट में कहा, ''काशी में लाल टोपी का जश्न देखकर कुछ लोग लाल-पीले हो रहे होंगे, जय अखिलेश, तय अखिलेश।
त्रिशूल और डमरू हाथ में लिए दिखे अखिलेश
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का काशी की धरा पर अलग रूप देखने को मिला। धर्मनगरी में रोड शो करने उतरे अखिलेश बाबा विश्वनाथ के प्रतीक चिन्ह त्रिशूल और डमरू के साथ लोगों से रूबरू हुए।
माना यह जा रहा है कि सपा हर हाल में हिंदू मतों में सेंधमारी के पूरे प्रयास में जुट गई है। यहीं कारण कि आम तौर पर कट्टर हिंदुत्व छवि से बचने वाले अखिलेश यादव समाजवादी विजय यात्रा के दौरान हाथ में त्रिशूल और डमरू लेकर मतदाताओं को अलग संदेश दिया।
धर्म की नगरी काशी में राजनीतिक पारा सातवें चरण के चुनाव से पहले ही सातवें आसमान पर पहुंच गया है। 54 सीटों पर होने वाले इस चुनाव में जातीय समीकरण बहुत मायने रखने वाले हैं। यहीं कारण है कि जिस पार्टी को जहां मौका मिल रहा है, वह जातीय समीकरण को साधने में लगा हैं।