
आशीष सुमित मिश्रा
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आवारा पशु का मुद्दा चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है। अगले तीन चरण में आवारा पशुओं से परेशान किसान बेहद अहम भूमिका निभाएगा। पांचवें चरण में आवारा पशु का मुद्दा कितना प्रभावी रहेगा और क्या इससे बीजेपी को नुकसान होगा इसको लेकर ग्रामीणों से बात की गई। पांचवे चरण के मुकाबले में ग्रामीण इलाकों का बड़ा हिस्सा आता है।
जानवरों की समस्या से त्रस्त हैं ग्रामीण
बाराबंकी- फतेहपुर हाईवे पर मौजूद कई ग्रामीणों ने बताया की आवारा पशुओं ने आतंक मचा रखा हैं। खेतों में फसल को बचाने के लिए हम लोगों को रातभर जागना पड़ता हैं। ऐसे में हम सो नहीं पाते हैं। जिन खेतों से गेहूं, चावल, सरसों मिलती उन पर आवारा पशुओं ने आतंक मचा रखा है। किसी तरह दिन में तो आवारा पशुओं का आतंक कम रहता है लेकिन रात होते ही झुंड का झुंड खेतों में घुसकर फसल बर्बाद कर रहा है।
रामकिशन की बात सुनकर हम गांव में बढ़े तो गांव के चौराहे पर मुलाकात आमोद से हो गई। आमोद कहते हैं कि आवारा पशुओं ने हमें बर्बाद किया है, अब हम वोट की चोट से सरकार को सबक सिखाएंगे। आमोद आरोप लगा रहे हैं कि सरकार ने कोई इंतजाम नहीं किया, आवारा पशुओं के लिए जो आश्रय स्थल बनाए गए, वहां पर इंतजाम नहीं थे।
बगल में खड़ा सुरेश यादव कहता है कि सरकार ने किसी का भला नहीं किया, बेरोजगारों को ठगा, किसानों को ठगा अब हम रात में पढ़ाई छोड़ कर खेतों की रखवाली कर रहे हैं। हमारी बातचीत को सुनकर चाय की चुस्की ले रहे अंबिका प्रसाद ने कहा कि क्या आवारा पशुओं के लिए हम लोग जिम्मेदार नहीं हैं? जब तक गाय दूध देती है तब तक रखते हैं और जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो उसे आवारा छोड़ देते हैं।
सरकार 5 किलो राशन भी तो दे रही है के सवाल पर ग्रामीणों ने हसते हुए कहा कि 5 कुंटल अनाज बर्बाद करवाकर 5 किलो राशन देना कितना सही है। साथ ही उन्होंने बताया कि क्षेत्र के प्रतिनिधियों से हम तमाम बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनता नहीं हैं। वहीं अधिकारी भी इस समस्या से मुह फेरते नजर आते हैं। हम किसानों के लिए यह बहुत बड़ी समस्या है और योगी सरकार इससे मुह फेरे हुए हैं। इसका नुकसान सरकार को उठाना पड़ सकता है।
अयोध्या के इस गांव में सांड के हमले से तीन की मौत
अयोध्या के मिल्कीपुर इलाके के राय पट्टी गांव में भी आजतक की टीम पहुंची, जहां किसानों ने इस मुद्दे की गंभीरता और अपने जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में बताया। 58 साल के राम अवतार ने कहा कि फसल को बचाने के लिए उन्हें पूरी रात खेत में ही गुजारनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि पहले ही 10 हजार रुपये का नुकसान हो चुका है।
45 वर्षीय ललिता कहती हैं, 'गांव की महिलाओं ने तय किया कि इस बार उन्हें सबक सिखाएंगे जिन्होंने आवारा पशुओं को लेकर इंतजाम नहीं किया, आवारा मवेशियों ने हमारे गेहूं-धान और सरसों की फसल को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि आवारा सांड ने कई लोगों पर हमला भी किया है, जिनमें गांव के ही तीन लोगों की मौत हो गई।
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