माता-पिता की देखभाल न करने वाले बच्चों पर गिरेगी गाज, हरिद्वार कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

हरिद्वार एसडीएम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देकर वरिष्ठ नागरिकों को राहत दी है। जिसके बाद से माता पिता का ध्यान न रखने वाले बच्चों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। ऐसे मामले हरिद्वार ही नहीं बल्कि देश के हर कोने से आती है। 

Asianet News Hindi | Published : May 26, 2022 11:40 AM IST

हरिद्वार: उत्तराखंड के हरिद्वार एसडीएम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट के इस फैसले से उन सभी बुजुर्गों को लाभ मिलेगा जिनके बच्चे उनकी कदर नहीं करते है। बुजुर्ग माता पिता की देखभाल ने करने वाली संतानों के लिए हरिद्वार कोर्ट ने फैसला सुनाया है। इस फैसले से पहले छह अलग-अलग बुजुर्गों द्वारा एसडीएम कोर्ट में दायर किए गए वाद में हरिद्वार एसडीएम पूरन सिंह राणा ने सुनाया है। जिसमें बुजुर्गों के बच्चों को पैतृक चल अचल संपत्ति से बेदखल कर एक महीने के भीतक मकान खाली कराने के आदेश दिए हैं। 

बुजुर्गों ने बया किया था दर्द
इतना ही नहीं कोर्ट ने कहा है कि आदेश का पालन नहीं किया जाता तो पुलिस और प्रशासन जरूरी एक्शन लेंगे। एसडीएम कोर्ट में हरिद्वार के ज्वालापुर, कनखल और रावली महदूद क्षेत्र के छह बुजुर्ग दंपतियों ने वाद दायर किया था कि उनके बच्चे उनका बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखते। साथ ही न उनकी बीमारी में उनकी दवाई के बारे में सोचते हैं और न ही भोजन आदि पर ध्यान देते है। इसके अलावा अक्सर लड़ाई झगड़ा करने का भी आरोप लगाया था। बच्चों के इस बर्ताव से उनका जीवन काफी कष्ट से गुजर रहा है। ऐसे मामले हरिद्वार ही नहीं बल्कि देश के हर कोने से आती है। 

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संपत्ति से बेदखल करने की हुई थी मांग 
बुजुर्ग दंपतियों के द्वारा दायर किए गए वाद में बच्चों को चल अचल संपत्ति से बेदखल करने की मांग की गई थी। इसी मामले को लेकर हरिद्वार एसडीएम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुना दिया और तीस दिनों के अंदर मकान खाली कराने के भी निर्देश पुलिस को दिए है। साथ ही कहा है कि आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो पुलिस और प्रशासन सख्त एक्शन लेंगे। कोर्ट के इस फैसले से बुजुर्गों को न्याय मिल गया और उन बच्चों को अच्छी सीख भी।

माता पिता के लिए बना रहा अधिनियम
दरअसल ऐसे कई वरिष्ठ नागरिक है जो अपने बच्चों की अवहेलना या उपेक्षा झेल रहे हैं। इसलिए बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण और कल्याण अधिनियम भी बनाया गया है। इस कानून के तहत ऐसी स्थिति में जीवन गुजार रहे बुज़ुर्ग या वरिष्ठ नागरिक कोर्ट में वाद दायर कर इंसाफ की गुहार लगा सकते हैं। इतना ही नहीं कोर्ट के इस फैसले के बाद कई अन्य अहम मामलों को देख रही है। माता पिता के साथ धोखाधड़ी से संपत्ति अपने नाम करवाने वाली संतानों से जुड़े कुछ मामले भी एसडीएम कोर्ट में हैं।

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