
देहरादून: उत्तराखंड के देवहा नदी किनारे एक हादसा हो गया। मगरमच्छ के शिकार का निवाला एक बच्चा बन गया। नदी किनारे भैंस चराने गए बच्चे को मगरमच्छ ने शिकार बना लिया। बच्चे को पानी में खींच ले गया और उसे निगल लिया। आसपास मौजूद देख लोग बचाने के लिए दौड़े लेकिन बचा नहीं सके। उसके बाद गोताखोरों ने मगरमच्छ को जाल में फंसाकर बाहर निकाला। इतना ही नहीं देर शाम तक ग्रामीण बालक को मगरमच्छ के पेट से बाहर निकालने की मांग पर अड़े थे। सूचना पर पहुंचे वन विभाग के आलाधिकारी, पुलिस और एसडीएम ने मगरमच्छ की मेडिकल जांच कराने का आश्वासन दिया तब ग्रामीणों का गुस्सा शांत हुआ।
भैंस को बचाने के लिए बच्चा कूदा नदी में
रविवार शाम करीब साढ़े तीन बजे यूपी सीमा से सटे ग्राम मेहरबाननगर निवासी मीना देवी पत्नी स्व. शोभा प्रसाद का 11 वर्षीय पुत्र वीर सिंह भैंस चराने देवहा नदी किनारे गया हुआ था। अचानक भैंस देवहा नदी में घुस गई। वीर सिंह उसे बाहर निकालने के लिए नदी में कूद गया। इसी दौरान मगरमच्छ ने वीर सिंह पर हमला कर उसे पानी की गहराई तक खींच ले गया। ऐसा बताया जा रहा है कि मगरमच्छ वीर सिंह को जिंदा निगल गया। आसपास काम कर रहे लोगों ने चीखपुकार सुनकर दौड़े लेकिन तब तक ग्रामीण कुछ समझ पाते मगरमच्छ पानी में गहराई की ओर चला गया। घटना की सूचना पर बच्चे की माता के साथ कई ग्रामीण मौके पर पहुंच गए।
मगरमच्छ के पेट से बाहर निकाला जाए बच्चा
सूचना पर पहुंची खटीमा वन विभाग के प्रशिक्षु आईएफएस डी नायक वन क्षेत्राधिकारी राजेंद्र सिंह मनराल व अन्य वन कर्मचारी भी मौके पर पहुंच गए। साथ ही एसडीएम रविंद्र बिष्ट ने भी घटनास्थल का मुआयना किया। तभी ग्रामीणों ने पानी से बाहर निकाले गए मगरमच्छ के पेट से बालक को बाहर निकालने की मांग शुरू कर दी। इसे लेकर ग्रामीणों की पुलिस से घंटों बहस हुई। खटीमा कोतवाल नरेश चौहान ने लोगों से बातचीत कर मगरमच्छ का मेडिकल परीक्षण कराने का आश्वासन दिया, तब जाकर लोग राजी हुए। बालक के पिता की मृत्यु काफी समय पहले हो चुकी है। मीना मजदूरी करके परिवार चलाती हैं। वीर सिंह का एक बड़ा भाई दीपांशु आयु (18), दो बहनें सीमा (15) व अंजलि (14) हैं। घटना से गांव में शोक का माहौल है।
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