
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मिशन इंद्रधनुष अभियान के तहत बच्चों को टीका लगाने का आज दूसरा दिन रहा। मिशन इंद्रधनुष अभियान की शुरूआत सोमवार यानी चार अप्रैल को हो चुकी थी। इस अभियान में नवजात शिशु से लेकर दो साल तक के बच्चों को टीका लगाया जा रहा हैं। जिनको कोरोना के कारण इस अभियान के तहत वैक्सीन नहीं लग पाई थी उन्ह बच्चों को चिन्हित कर इसको फिर से शुरू किया गया है। ऐसे करीब दस लाख बच्चों को चिन्हित किया गया है। अब इन्हें वैक्सीन लगाई जाएगी।
13 अप्रैल तक चलेगा यह अभियान
यूपी में मिशन इंद्रधनुष अभियान 13 अप्रैल तक चलाया जाएगा। एक-एक हफ्ते तक चलने वाले इस अभियान का दूसरा चरण चार अप्रैल से शुरु हो चुका है और तीसरा चरण दो मई से शुरू होगा। इसमें नियमित टीकाकरण से वंचित दो वर्ष तक के बच्चों और गर्भवती के टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग 12 प्रकार के टीके सभी सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य उपकेंद्रों, ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) पर प्रत्येक बुधवार और शनिवार को निशुल्क उपलब्ध करवाता है। जिन बच्चों और गर्भवती को टीका नहीं लग पाया है, उन्हें आशा कार्यकर्ता ढूंढ कर टीकाकरण कराएंगी।
बता दें कि मिशन इंद्रधनुष अभियान का पहला चरण पिछले माह सात मार्च से पंद्रह मार्च तक चला था। इसमें दो वर्ष से कम उम्र के 20,047 बच्चों और 5,308 गर्भवतियों का टीकाकरण किया गया था। 3,878 सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें दो वर्ष तक के 19,523 बच्चों को टीका लगेगा। इसी प्रकार 6,072 गर्भवती का टीकाकरण भी किया जाएगा।
सभी जिला अस्पतालों को दिए जा चुके हैं निर्देश
राज्य टीकाकरण अधिकारी ने बताया कि राज्य में नवजात शिशु से लेकर दो साल तक की उम्र के कुल 1.10 करोड़ बच्चे हैं। कोरोना महामारी के कारण इन बच्चों में से दस लाख बच्चों को वैक्सीन नहीं लग पाई थी। ऐसे बच्चों को आंगनबाड़ी और आशा वर्कर के कार्यकर्ताओं की मदद से चिन्हित किया गया है। अब इन्हीं बच्चों को टीके लगाए जाने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि 165 जिला अस्पतालों व 855 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) पर वैक्सीन लगाए जाने की व्यवस्था की गई है। इस टीकों को लगाने के लिए सभी जिलों को निर्देश दिए गए है कि छूटे बच्चों को शत-प्रतिशत वैक्सीन लगाया जाए।
बारह प्रकार की बिमारियों से मिलती है सुरक्षा
मिशन इंद्रधनुष अभियान में जो टीका लगाया जाता है उससे बच्चों को 12 प्रकार की बिमारियों से सुरक्षा मिलती है जैसे- हेपेटाइटिस बी, डिप्थीरिया, टिटनेस, मिजिल्स, परट्यूटिस (काली खांसी), रूबेला, टीबी, पोलियो, जेई (दिमागी बुखार), निमोनिया, वायरल डायरिया और हीमोफिलस इंफ्लुएंजा से बचाने में टीकों की भूमिका अहम है। बता दें कि प्राइवेट अस्पतालों में इन बीमारियों से बचाव के लिए महंगे दामों पर टीके लगवाने पड़ते हैं। वहीं, सरकारी अस्पतालों में यह टीके पूरी तरह से निशुल्क होते हैं।
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