Exclusive: राम मंदिर के चारों ओर होगा 67 एकड़ का कंपाउंड, बनेगा भगवान की लाइफ से जुड़े 3 खास लोगों का मंदिर

अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में रामलला के मंदिर के अलावा उनके जीवन से जुड़े कुछ अहम किरदारों के मंदिर भी बनेंगे। 2.77 एकड़ में बन रहे राम मंदिर के अलावा 67 एकड़ की भूमि पर रामायण से जुड़े कुछ अहम लोगों के मंदिर बनाए जाएंगे। 

Asianet News Hindi | Published : May 2, 2022 12:54 PM IST

नई दिल्ली/अयोध्या। उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) स्थित श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या (Ayodhya) में रामलला (Ramlala) के भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। मंदिर बनने का काम पिछले 20 महीने से लगातार चल रहा है। यहां 2.77 एकड़ में भगवान राम का मंदिर होगा, जबकि 67 एकड़ क्षेत्र में रामलला के जीवन में अहम भूमिका निभाने वाले किरदारों का मंदिर बनाया जाएगा। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में रामलला के अलावा और कौन-कौन से मंदिर बनेंगे, इस बारे में और ज्यादा जानकारी के लिए एशियानेट न्यूज (Asianet News) के राजेश कालरा ने मंदिर निर्माण समित के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा से बात की। उन्होंने बताया कि यहां राम मंदिर के अलावा फिलहाल 3 और लोगों के मंदिर बनाए जाएंगे।  

राम जन्मभूमि क्षेत्र में बनेंगे इन 3 लोगों के मंदिर :  
नृपेन्द्र मिश्रा के मुताबिक, 2024 के आखिर तक मंदिर के सभी फ्लोर बन जाएंगे। हालांकि, इसके बाद भी मंदिर के अंदर की नक्काशी की जाएगी क्योंकि मूर्ति निर्माण का काम चलता रहेगा। इन सबके अलावा हमारे पास 67 एकड़ जमीन और है, जिसे मंदिर परिसर कहा जाएगा। इस एरिया में हमारे पास कुछ और मंदिर बनाने का आइडिया है। इनमें वाल्मीकि मंदिर, निषाद राज मंदिर, शबरी माता का मंदिर आदि शामिल हैं। कुल मिलाकर आइडिया ये है कि भगवान राम की कथा के ऐसे पात्र जो अलग-अलग समुदायों से थे लेकिन उनका विश्वास था कि श्रीराम हमारे भगवान हैं, उन सबके मंदिर बनाने की योजना है। 

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कौन हैं वाल्मीकि, निषाद राज और शबरी : 
- बता दें कि रामायण में वाल्मीकि, निषाद राज और शबरी का अहम स्थान है। महर्षि वाल्मीकि रामायण के रचयिता हैं। रामायण में उन्होंने अनेक घटनाओं के समय सूर्य, चंद्रमा तथा अन्य नक्षत्रों की स्थितियों का वर्णन किया है। इससे पता चलता है कि वे ज्योतिष एवं खगोल विज्ञान के जानकार भी थे। 
- इसी तरह निषाद राज ने भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण को वनवास के दौरान अपनी नाव में बैठाकर गंगा पार कराई थी। निषाद राज ऋंगवेरपुर (वर्तमान प्रयागराज) के महाराजा थे। वे निषाद समाज के थे, जिन्हें भोई या मल्लाह भी कहते हैं। 
- शबरी का असली नाम श्रमणा था। वह भील समुदाय से थी। जहां शबरी का विवाह तय हुआ, वहां पशुबलि देने की परंपरा थी। शबरी किसी भी तरह की हिंसा नहीं चाहती थी, इसलिए उसने विवाह से मना कर दिया और दंडकारण्य में मतंग मुनि के आश्रम में उनकी सेवा करने लगी। त्रेता युग में वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम इसी आश्रम में आए और उन्होंने शबरी के जूठे बेर खाए थे।  

कब आया राम मंदिर का फैसला और कब बना ट्रस्ट : 
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक मानते हुए फैसला मंदिर के पक्ष में सुनाया। इसके साथ ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए अलग से ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया। इसके बाद 5 फरवरी, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में ट्रस्ट के गठन का ऐलान किया। इस ट्रस्ट का नाम 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' रखा गया। 

कौन हैं नृपेन्द्र मिश्रा : 
नृपेन्द्र मिश्रा यूपी काडर के 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं। मूलत: यूपी के देवरिया के रहने वाले नृपेन्द्र मिश्रा की छवि ईमानदार और तेज तर्रार अफसर की रही है। नृपेंद्र मिश्रा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव भी रह चुके हैं। इसके पहले भी वो अलग-अलग मंत्रालयों में कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके हैं। मिश्रा यूपी के मुख्य सचिव भी रह चुके हैं। इसके अलावा वो यूपीए सरकार के दौरान ट्राई के चेयरमैन भी थे। जब नृपेंद्र मिश्रा ट्राई के चेयरमैन पद से रिटायर हुए तो पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन (PIF) से जुड़ गए। बाद में राम मंदिर का फैसला आने के बाद सरकार ने उन्हे अहम जिम्मेदारी सौंपते हुए राम मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष बनाया।

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