
वाराणसी (Uttar Pradesh). यूपी के वाराणसी में शुक्रवार को एक कारोबारी ने पत्नी और 2 बच्चों की हत्या के बाद आत्महत्या कर ली। मौके से पुलिस को 11 पन्नों का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें परिवार ने मौत की वजह बताई है। पुलिस ने फिलहाल, सभी के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज मामले की जांच शुरू कर दी है।
खुद ही पुलिस को फोन कर बताया अपना जुर्म
मामला मुकीमकंज थाना क्षेत्र नचनी कुआं मोहल्ले का है। यहां दो मंजिला मकान के प्रथम तल पर चेतन अपने परिवार के साथ रहते थे। ग्राउंड फ्लोर पर उनके पिता रविंद्र नाथ तुलस्यान और मां विमला देवी रहती हैं। चेतन का एक भाई वाराणसी और एक भाई सूरत में रहता है। जानकारी के मुताबिक, चेतन की अपने माता पिता से खास बातचीत नहीं थी। उनका पंखे का छोटा सा कारोबार है। शुक्रवार को यहां पंखा कारोबारी चेतन तुलस्यान (45), पत्नी ऋतु (42), बेटे हर्ष (19) और बेटी हिमांशी (17) का शव बरामद हुआ।
कारोबारी ने खुद पुलिस को फोन कर कही थी ये बात
एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने बताया, सुसाइड से पहले चेतन ने खुद सुबह 4:35 बजे 112 पर पुलिस को फोन कर कहा था, सबको मार दिया और अब मैं भी जान देने जा रहा हूं। पुलिस जब मौके पर पहुंची तो एक कमरे में ऋतु का शव जमीन पर पड़ा था। जबकि चेतन फंदे से लटके हुए थे। दूसरे कमरे में बेड पर दोनों बच्चों के शव पड़े थे।
करीब एक महीने से लिखा जा रहा था सुसाइड नोट
फोरेंसिक टीम के अनुसार, सुसाइड नोट इत्मीनान से अलग-अलग दिनों में पेन और स्केच से लिखा गया। आंखों से कम दिखाई देने के कारण चेतन ने सुसाइड नोट पत्नी ऋतु से लिखवाया था। सुसाइड नोट की शुरुआत में लिखा, अधूरी कहानी पर खामोश लबों का पहरा है... चोट रूह की है इसलिए दर्द जरा गहरा है...। करीब 20 साल पहले शादी कर बनारस आई तो परिवार जितना खुशहाल बाहर से दिखा, अंदर से वैसा नहीं था। मैं यहां कभी खुश नहीं रही। शादी के बाद पता चला पति को आंख की रोशनी की लाइलाज बीमारी है। बीमारी के साथ घर में उनकी स्थिति कमजोर होती चली गई। ससुर और देवर ने उन्हें पंखे के व्यापार से हटाकर पांच हजार रुपये का कर्मचारी बना दिया। पता था कि सब गलत हो रहा है लेकिन कभी कुछ कह नहीं सकी।
आगे लिखा है, सास और ससुर ने कभी हमारी समस्या समझने की कोशिश नहीं की। ससुराल में हमेशा सौतेला व्यवहार हुआ। मायके वाले ही शुरू से मदद करते आए। कई बार मन किया कि चेतन को छोड़कर बच्चों के साथ कहीं चली जाऊं, लेकिन ऐसा कर नहीं सकी। मकान को लेकर चेतन को जबसे उनके पिता थाने ले गए, तबसे वह अपने आपको कमरे में बंद करके रखते थे। एक कमरे में हम दोनों का हमेशा रहना अच्छा नहीं लगता था। तमाम तरह की तकलीफों, परेशानियों और दुख की वजह से प्यारे बच्चों और पति के साथ दुनिया छोड़ने का फैसला ले रही हूं।
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