डर के साए में रह रहा पूरा परिवार, हिंदूवादी नेता की पत्नी ने सीएम योगी से लगाई गुहार, जानें पूरा मामला

यूपी की विश्वनाथ नगरी काशी में हिंदूवादी नेता अरुण पाठक की पत्नी मनीषा पाठक का कहना है कि उनके परिवार के सदस्यों की जान को खतरा है। इसी वजह से उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सुरक्षा की गुहार लगाई है। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 11, 2022 7:09 AM IST

वाराणसी: उत्तर प्रदेश के जिले वारामसी में हिंदूवादी नेता और विश्व हिंदू सेना चीफ अरुण पाठक के परिवार को इन दिनों जान का खतरा सता रहा है। पूरा परिवार डर की वजह से घर में ही कैदी की तरह रहने को मजबूर है। उनके बच्चे भी इसी खतरे की वजह से घर के बाहर नहीं निकल रहे हैं। दरअसल अरुण की पत्नी मनीषा पाठक का कहना है कि मेरे पति को कई बार जान से मारने की धमकी मिली थी। उसके बाद से ही पूरा परिवार सदमे में है। धमकी के बाद ही पुलिस को सूचित करने के साथ सुरक्षा की मां की लेकिन ऐसा नहीं होने पर परिवार डर के साए में रह रहा है।

सीएम योगी से लगाई सुरक्षा की गुहार
मनीषा पाठक कहती है कि परिवार इतना सहमा है कि बच्चे अब स्कूल, बाहर खेलने के लिए भी नहीं जा पा रहे है। इसी कारणवश हिंदूवादी नेता की पत्नी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अब अपने परिवार के सुरक्षा की गुहार लगा रही हैं क्योंकि उनके पति को कई कट्टरपंथी संस्थाओं के साथ ही दो महीने पहले दारुल इस्लाम के नाम से गजवा ए हिन्द को लेकर धमकी भरा पत्र मिला था। जिसमें लिखा था कि अरुण पाठक तू लगातार इस्लाम के खिलाफ बोलता आया है। तूने भी हमारे रसूल के खिलाफ गुस्ताखी की है। इसलिए तुझे और तेरे परिवार को इसकी सजा मिलेगी... इंशाल्लाह...। तेरी गर्दन तक भी मेरा खंजर जरूर पहुंचेगा। गुस्ताख-ए-रसूल की एक ही सजा सर तन से जुदा... सर तन से जुदा...।

1993 से अरुण पाठक ने की थी आंदोलन की शुरुआत
धमकी भरी चिट्ठी में आगे लिखा था कि तुझे भी तेरे दोस्त कमलेश तिवारी और कन्हैया लाल के पास जल्द पहुंचा दिया जाएगा। नूपुर शर्मा का साथ देने वालों का जो हश्र किया है, तेरा भी वही हाल करेंगे। तेरे जैसों के रहते हुए हम लोगों का गजवा-ए-हिंद का सपना कभी पूरा नहीं होगा। इसलिए तेरा और तेरे परिवार का खात्मा जरूरी है। सबसे नीचे लिखा था कि हम हैं नबी के नेक बंदे... दारुल इस्लाम...। आपको बता दें कि ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन को लेकर अरुण पाठक ने 1993 से आंदोलन की शुरुआत की थी। इसी मामले को लेकर कोर्ट में भी सुनवाई जारी है। 

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