हिंदू याचिकाकर्ताओं के लिए बड़े कदम के बाद ज्ञानवापी में आज इन 10 बिंदूओं पर सुनवाई होगी। जिला जज ने 12 सितंबर को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि शृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है। इसके साथ ही सुनवाई की तिथि गुरुवार 22 सितंबर को तय की थी।
वाराणसी: ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले में जिला जज की अदालत में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की मांग खारिज होने के बाद गुरुवार 22 सितंबर को पहली बार सुनवाई होगी। जिला न्यायाधीश ज्ञानवापी मामले में सुनवाई करेंगे। इस फैसले के कुछ दिनों बाद पांच हिंदू महिलाओं द्वारा प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर एक मंदिर में साल भर प्रार्थना करने की याचिका कानूनी रूप से वैध है। जिला जज ने इस मुकदमे को सुनवाई योग्य करार दिया था, इसके बाद अंजुमन की ओर से आवेदन भी दिया गया है।
ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले पर शीर्ष 10 बिंदु
1. 12 सितंबर को ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले में वाराणसी की अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता मस्जिद को मंदिर में बदलने के लिए नहीं कह रहे थे बल्कि पूरे साल विवादित संपत्ति पर पूजा करने का अधिकार मांग रहे थे। कार्ट ने कहा कि साल 1991 में बने एक कानून के अंतर्गत पूजा स्थलों को वैसे ही रहने दिया जाना चाहिए जैसे वह 15 अगस्त 1947 को थे। बाबरी मस्जिद का मामला अपवाद था।
2. मुस्लिम याचिकाकर्ताओं द्वारा एक चुनौती मुख्य रूप से मस्जिद प्रशासक जो याचिका को खारिज करना चाहता था। इसको न्यायाधीश ने खारिज कर दिया और कहा कि याचिका में कोई योग्यता नहीं है।
3. 12 सितंबर की सुनवाई के बाद मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने इस मामले की सुनवाई से पहले आठ हफ्तों की तैयारी के लिए आवेदन दायर किया है। वहीं हिंदू महिलाओं के वकीलों का कहना है कि वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा मस्जिद में नए सिरे से सर्वेक्षण करने की मांग करेंगी।
4. 2022 की शुरुआत में वाराणसी की एक निचली अदालत ने महिलाओं की याचिका के आधार पर सदियों पुरानी मस्जिद के फिल्मांकन का आदेश दिया था।
5. हिंदू याचिकाकर्ताओं के द्वारा विवादास्पद रूप से लीक की गई वीडियोग्राफी रिपोर्ट में दावा किए गए। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि मस्जिद परिसर के अंदर एक तालाब में शिवलिंग या भगवान शिव का अवशेष पाया गया था। इसका इस्तेमाल मुस्लिम प्रार्थनाओं से पहले वजू या शुद्धिकरण अनुष्ठान के लिए किया जाता था।
6. कोर्ट के आदेश के बाद मंदिर के अंदर फिल्मांकन को ज्ञानवापी मस्जिद समिति द्वारा सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी गई थी। इसमें कहा गया था कि यह कदम साल 1991 के कानून यानी पूजा के स्थान अधिनियम का उल्लंघन करता है।
7. उसके बाद 2022 के मई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने विवाद की जटिलता और संवेदनशीलता का जिक्र करते हुए शहर के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को मामला सौंपा। जिसमें कहा गया था कि इस अनुभवी हैंडलिंग की आवश्यकता है।
8. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद उन कई मस्जिदों में से एक है जो हिंदू कट्टरपंथियों का मानना है कि मंदिरों के खंडहरों पर बनाई गई थीं।
9. ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामला अयोध्या और मथुरा के अलावा मंदिर-मस्जिद की तीन पंक्तियों में से एक था, इसको भारतीय जनता पार्टी ने साल 1980 और 90 के दशक में राष्ट्रीय प्रमुखता हासिल करते हुए उठाया था।
10. वाराणसी की अदालत में जिस दिन हिंदू महिलाओं ने याचिका की वैधता को स्वीकार करते हुए आदेश पारित किया था, उसी दिन मथुरा में मीना मस्जिद को स्थानांतरित करने के लिए एक मामला दायर किया गया था। यह शाही मस्जिद ईदगाह को स्थानांतरित करने की मांगों को जोड़ता है। इसमें याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 13 एकड़ के कटरा केशव देव मंदिर परिसर के अंदर भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर बनाया गया है।
जज ने 22 सितंबर की दी थी तारीख
जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने 12 सितंबर 2022 को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि शृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है। इसके साथ ही सुनवाई की तारीख गुरुवार 22 सितंबर को तय की थी। न्यायाधीश ने आदेश में कहा था कि उस दिन जितने लोगों ने पक्षकार बनने के लिए ऑर्डर 1 रूल 10 के तहत आवेदन दिया था, उस पर सुनवाई होने के साथ शृंगार गौरी मामले में वाद बिंदु भी तय किया जाएगा।
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