अपने तेवरों के चलते हमेशा चर्चाओं में रहने वाले वरुण गांधी एक बार फिर भाजपा सरकार पर आक्रामक दिख रहे हैं। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि मैं हमेशा से जनता के पाले में हूं। जो जनता के सवाल होंगे वह अवश्य ही उठाता रहूंगा। वरुण गांधी ने बताया कि उन्होंने कोरोनाकाल में भी लोगों की बढ़-चढ़कर सहायता की थी।
लखनऊ: भाजपा सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) अक्सर अपने तेवरों के चलते चर्चाओं का हिस्सा रहते हैं। वह एक बार फिर भाजपा सरकार को लेकर आक्रामक दिख रहे हैं। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा है कि मैं हमेशा से जनता के पाले में हूं। जो जनता के सवाल होंगे वह अवश्य ही उठाता रहूंगा। अपने स्वार्थ के लिए मैं घुटने नहीं टेक सकता हूं।
गौरतलब है कि चुनाव से पहले कई बड़े नेताओं ने दल-बदल किया। इसी कड़ी में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के कई दिग्गज नेता भी अन्य दलों में चले गए। इसके बाद कयास लगाए जाने के लगे कि वरुण भी जल्द ही किसी दूसरे राजनीतिक दल में शामिल हो सकते हैं। इसी को लेकर जब वरुण गांधी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, 'मैं हमेशा से ही जनता के पाले में हूं। जनता के जो भी सवाल होंगे वह उठाता रहूंगा। अपने निजी स्वार्थ के लिए मैं घुटने नहीं टेक सकता हूं।' वरुण गांधी ने आगे यह भी कहा कि मैं न तो सांसद के रूप में मिली तनख्वाह लेता हूं, न ही सरकारी घर या अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाता हूं। मैं लोगों को अपना परिवार मानकर ही उनकी सेवा करता रहता हूं।
कोरोनाकाल में भी की थी सहायता
वरुण गांधी ने कोरोनाकाल के दौरान जब दवाईयों और आक्सीजन सिलिंडर को लेकर हाहाकार मचा हुआ था तब भी लोगों की सहायता की थी। उन्होंने अपनी बेटी की एफडी तोड़कर उस पैसों से पीलीभीत के लोगों को आक्सीजन सिलिंडर और दवाएं पहुंचाई थीं।
वरुण गांधी ने आगे यह भी कहा कि उनकी सलाह पर पार्टी को विचार अवश्य करना चाहिए। वह हमेशा ही जनता के हित की बात करते हैं। उनकी बातों से सरकार, आम जनता सभी का भला होगा। वरुण ने कहा कि सरकारें तो आएंगी और जाएंगी। जनता ने मुझे सांसद उनके मुद्दे उठाने के लिए चुना है। वह लगातार जारी रहेगा।
गन्ना मूल्य में कम वृद्धि से किसान नाराज
वरुण गांधी ने कहा कि पिछली तीन सरकारों में गन्ना मूल्य में सबसे कम वृद्धि मौजूदा सरकार में हुई। इसके चलते किसान लगातार भाजपा सरकार से नाराज हैं। फसलों का लाभकारी मूल्य किसानों का अधिकार है। यदि हम यह सुनिश्चित नहीं करेंगे तो किसान धीरे-धीरे करके कर्ज के जाल में फंस जाएगा।