अयोध्या फैसले पर विहिप का ऐलान : न्यास द्वारा प्रस्तावित मॉडल पर ही बने राम मंदिर, मस्जिद के लिए सांस्कृतिक सीमा के बाहर हो कोई स्थान

विहिप के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक दिनेशचंद्र ने अयोध्या विवाद पर आए फैसले का स्वागत करते हुए कहा, हम मस्जिद के लिए भूमि दिए जाने के निर्णय का भी स्वागत करते हैं पर यह मस्जिद अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा के बाहर होनी चाहिए

Asianet News Hindi | Published : Nov 14, 2019 4:57 AM IST

अयोध्या (Uttar Pradesh ). अयोध्या मामले में कोर्ट के फैसले का विश्व हिन्दू परिषद ने स्वागत किया है। विहिप के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक दिनेशचंद्र ने अयोध्या विवाद पर आए फैसले का स्वागत करते हुए कहा, हम मस्जिद के लिए भूमि दिए जाने के निर्णय का भी स्वागत करते हैं पर यह मस्जिद अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा के बाहर होनी चाहिए। उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा कि बाबरी नाम की मस्जिद तो पूरे देश में कहीं भी स्वीकार्य नहीं होगी। उन्होंने रामघाट स्थित रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला में मीडिया से बात करते हुए ये बातें कहीं । 

बता दें कि सैकड़ों साल से चल रहे राम जन्मभूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह ही अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का अधिकार बताते हुए केंद्र सरकार से वहां मंदिर बनाने का आदेश दिया था। जबकि मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन दिए जाने का फैसला सुनाया था। हांलाकि कुछ मुस्लिम संस्थाओं ने इसका विरोध भी किया था। 

संतों के साथ बैठकर तय करेंगे अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा 
विहिप संरक्षक ने ये तय नहीं किया कि उनके हिसाब से अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा क्या है। उन्होंने कहा कि संतों से विचार-विमर्श के बाद वे यह तय करेंगे कि अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा कहां तक निर्धारित की जाय। लेकिन उन्होंने इस पर जोर दिया कि मस्जिद के लिए जमीन संतों द्वारा सांस्कृतिक सीमा तय करने के बाद उसके बाहर ही दी जाए। 

अयोध्या में स्मारक बनाने की भी मांग 
विहिप के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक दिनेश चंद्र ने सीएम योगी आदित्यनाथ से ये मांग की कि अयोध्या में उन लोगों का स्मारक भी बने जिन्होंने राम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए 1528 ई. से संघर्ष करते हुए अपनी शहादत दी। इसके आलावा उन्होंने राम मंदिर उन्ही शिलाओं से बनाने की मांग की जो दशकों से अब तक तराशे गए हैं। उन्होंने रामजन्मभूमि न्यास की ओर से प्रस्तावित मंदिर के मॉडल पर ही मंदिर बनाने की मांग की। 

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