विश्व हिंदू परिषद (Vishva Hindu Parishad) की सामाजिक समरसता विभाग की दो दिवसीय केंद्रीय बैठक कारसेवक पुरम में हुई। इसमें 44 प्रान्तों के लगभग सवा सौ प्रमुखों ने सामाजिक समरसता के काम मे तेजी लाने का फैसला किया। इसके लिए वीएचपी की ओर से आगामी 14 जनवरी के दिन समरसता दिवस पर विशेष अभियान चलाने की तैयारी की जा रही है। इस दिन सारे भारत में समरसता के लिए गोष्ठियों और प्रभात फेरी का आयोजन किया जाएगा।
लखनऊ: देश के अनुसूचित जाति (Scheduled Castes) के विकास के लिए अब राजनीतिक दलों के अलावा दूसरे बड़े संगठन भी आगे आते हुए नजर आ रहे हैं। इसी कड़ी में विश्व हिंदू परिषद (vishva hindu parishad) ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। इसके लिए वीएचपी (VHP) की ओर से आगामी 14 जनवरी के दिन समरसता दिवस पर विशेष अभियान चलाने की तैयारी की जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार, इस दिन सारे भारत में समरसता के लिए गोष्ठियों और प्रभात फेरी का आयोजन किया जाएगा। आपको बताते चलें कि विश्व हिंदू परिषद (Vishva Hindu Parishad) की सामाजिक समरसता विभाग की दो दिवसीय केंद्रीय बैठक कारसेवक पुरम में हुई। इसमें 44 प्रान्तों के लगभग सवा सौ प्रमुखों ने सामाजिक समरसता के काम मे तेजी लाने का फैसला किया।
वीएचपी के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार बताया कि जब तक अनुसूचित समाज शिक्षा, कौशल और रोजगार से पिछड़ा है, तब तक समरसता पूरी नहीं हो सकती है। वीएचपी ने देश भर के पिछड़े इलाकों में काम करने की विशेष योजना बनाई है। इसी के मद्देनजर 14 जनवरी को समरसता दिवस मनाया जाएगा। इस दिन सारे भारत में समरसता के लिए गोष्ठियों और प्रभात फेरी का आयोजन किया जाएगा। 16 फरवरी संत रविदास जयंती को भी समरसता के कार्य होंगे। इसी प्रकार बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर, महर्षि वाल्मीकि, संत कबीर व अन्य महापुरुषों की जयंती भी मनाई जाएगी।
धर्मांतरण और लव जेहाद के लिए भी चलेगा अभियान
आलोक कुमार ने बताया परस्पर सहमति के आधार पर प्रत्येक ग्राम में मंदिर सबके लिए खुले। उसमें सबका स्वागत हो सब निर्बाध जा सके। इसी के साथ पानी के स्त्रोत अलग-अलग ना बांटे जाएं। एक ही जगह से सब पानी ले सकें। साथ ही शमसान घाट की भूमि एक हो इस विषय पर भी गति दी जा रही है। मनुष्य के नाते गरिमा और बंधुता सबको प्राप्त हो। धर्मांतरण और लव जिहाद रोकने के लिए केंद्र सरकार कानून बनाएं, इसलिए आने वाले दिनों में इसके लिए भी अभियान चलाया जाएगा।
सरकारी कब्जे में न रहें मंदिर
उन्होंने बताया देश के बहुत सारे राज्य ऐसे हैं जहां हमारे मंदिर सरकार के नियंत्रण में है। मंदिरों को अपनी आमदनी का काफी हिस्सा सरकार के खजाने में जमा करना पड़ता है। मंदिर न चल पाने की दशा में सरकारें सीईओ के नाम से बाबू बैठा दे रही हैं। जिनकी तनख्वाह मंदिरों को ही देनी पड़ती है। उन्होंने कहा सरकार मस्जिद, गिरजाघर और चर्च नहीं चलाती। सरकार का काम मंदिर चलाने का भी नहीं है। हिंदू समाज को मंदिर वापस मिले इसके लिए अभियान तेज किया जाएगा।
मथुरा के बारे में चिंतन नहीं
पिछले दिनों डिप्टी सीएम केशव मौर्या ने मथुरा की तैयारी करने की बात कही थी। इस पर आलोक कुमार ने कहा कि वीएचपी ने तय किया है कि जब तक रामलला को उनके जन्मस्थान गर्भगृह में विराजमान नहीं कर देंगे तब तक बाकी विषयों पर विचार नहीं किया जाएगा। अंत में यह जरूर कहा कि 2023 के बाद इस पर विचार किया जाएगा।