उत्तर प्रदेश के जिले कानपुर से लगभग छह किलोमीटर दूर घाटमपुर कस्बे में माता कुष्मांडा देवी का अद्भुत और रहस्यमयी मंदिर है। इस मंदिर की पिंडी से रिसते पानी की तुलना अमृत से की जाती है। इसको आंखों में लगाने से बीमारियां दूर हो जाती है।
सुमित शर्मा
कानपुर: चैत्र नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा देवी के स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। कानपुर शहर से लगभग 60 किलोमीटर दूर घाटमपुर कस्बे में मां कुष्मांडा देवी का अद्भुद और रहस्यमयी मंदिर है। मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप में कुष्मांडा देवी के प्राचीन व भव्य मंदिर में लेटी हुई मुद्रा में है। पिंड के रूप में लेटी मां कुष्मांडा, जिससे लगातर नीर रिसता रहता है। पिंडी से रिसने वाले नीर की तुलना अमृत से की जाती है। इस नीर का सेवन करने से कई प्रकार की बीमारियों से लोगो को राहत मिलती है। आंखों की बीमारी से परेशान पीड़ित नीर को आंखों में लगाते हैं, जिससे आंखों की किसी प्रकार की बीमारी नहीं होती है। हांलाकि कुष्मांडा देवी की पिंडी से रिसने वाला नीर आज भी लोगो के लिए रहस्य बना हुआ है।
मंदिर के पुजारी परशुराम के मुताबिक मां कुष्मांडा देवी की पिंडी कितनी प्राचीन है, इसकी अंको में गड़ना करना बहुत मुस्किल है। उन्होंने बताया कि किसी समय में घाटमपुर क्षेत्र में घनघोर जंगल था। उस दौरान बड़ी संख्या में चरवाहे जानवरों को चराने के लिए आते रहते थे। उनके साथ एक कुढाहा नाम का ग्वाला भी गाय चराने के लिए आता था। हमारे पूर्वजों के मुताबिक उसकी गाय चरते-चरते मां की पिंडी के पास आ जाती थी। उसकी गाय पूरा दूध माता की पिंडी के पास निकाल देती थी। जब कुढाहा शाम को घर जाता था तो उसकी गाय दूध नही देती थी। यह क्रम कई महीनों तक चलता रहा।
ग्वाले की गाय पिंडी पर निकालती थी दूध
पुजारी ने बताया कि कुढाहा गाय चराने के साथ ही अपनी गाय पर नजर रखने लगा। कुढाहा अपनी का छिप-छिप कर पीछा करने लगा। कुढाहा ने देखा की उसकी गाय एक एक पिंडी के ऊपर खड़ी है। गाय का अपने आप दूध निकल रहा है। ग्वाला यह देख कर आश्चर्य चकित रह गया। उसने यह अपने गांव में बताई। ग्रामीणों ने खोदाई की तो काफी गहराई पर चमत्कारी पिंडी मिली थी। ग्रामीणों ने इस जगह पर एक छोटी सी मठिया बना दी। धीरे-धीरे इस स्थान पर तमाम साधू संत भी आ कर रहने लगे। मठिया में पूजा-पाठ करने लगे। पिंडी से निकलने वाले नीर को माता का प्रसाद मानकर लोग चखने लगे। जिससे कई प्रकार की बीमारियों से लोगों को राहत मिलने लगी।
तालाब कभी नहीं है सूखता
मंदिर के पुजारी का मानना है कि यदि सूर्योदय से पहले नहा कर छह माह तक इस नीर का सेवन किया जाए, तो कोई भी बीमारी आप को जकड़ नहीं पाएगी। यदि कोई बीमारी है, तो वह निश्चित ठीक हो जाएगी। लेकिन उन्होंने कहा की लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं। इसके लिए बहुत नियम का पालन करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि मंदिर के बगल में तलाब का भी बड़ा आश्चर्य चकित इतिहास है। मंदिर की सेवा करने वाले बुजुर्ग राजपाल के मुताबिक जब से यह माता कुष्मांडा का मंदिर बना है। यह तलाब कभी सूखा नहीं हैं। उन्होंने कहा की मेरी उम्र 73 वर्ष है, लेकिन मैंने कभी भी इस तलाब को सुखा हुआ नहीं देखा है। बारिश हो या न हो लेकिन यह तलाब सूखता नहीं हैं।
मनोकामना पूरी होने पर सुनते हैं कथा
मां कुष्मांडा देवी के मंदिर में दर्शन करने के बाद जिन भक्तों की मुरादे पूरी हो जाती हैं। वह मंदिर में आकर कथा सुनते है। साढ़ गांव के नवीन कुमार अपने पूरे परिवार के साथ माता के दरबार में कथा सुनने आए हैं। उन्होंने बताया की खेती का एक विवाद चल रहा था। मनोकामना मानी थी कि विवाद निपट जाएगा तो माता के दरबार में कथा सुनेंगे। इसलिए आज कथा सुनने के लिए परिवार समेत आए हैं। इसी प्रकार लोग यहां पर बच्चों के मुंडन संस्कार कराते हैं। लोगों का मानना है की मां के दरबार में आने वाले सभी भक्त निराश हो कर जाते हैं। उन्होंने बताया कि मैं यहां पर बहुत बड़ा भंडारा करा रहूं। मां कुष्मांडा देवी ने मेरी मनोकामना पूरी की है।