Exclusive: राम मंदिर में इस्तेमाल हो रही नागर शैली, 30 साल से पत्थरों पर डिजाइन बना रही सोमपुरा फैमिली

अयोध्या स्थित राम मंदिर को नागर शैली में बनाया जा रहा है। यह संरचनात्मक मंदिर निर्माण की एक शैली है, जो पूरे उत्तर भारत में प्रचलित है। नागर शैली में मंदिर निर्माण का काम गुजरात की सोमपुरा फैमिली देख रही है। 

Asianet News Hindi | Published : May 4, 2022 7:13 AM IST / Updated: May 05 2022, 08:38 AM IST

नई दिल्ली/अयोध्या। भगवान राम (Ram) के जन्मस्थल अयोध्या (Ayodhya) में उनका भव्य मंदिर बनाया जा रहा है। वास्तु शास्त्र के हिसाब से राम मंदिर नागर शैली में बनाया जा रहा है, जिसका डिजाइन गुजरात की सोमपुरा फैमिली ने तैयार किया है। यह परिवार पिछली 15 पीढ़ियों से मंदिरों के आर्किटेक्ट का काम करता आ रहा है। इस बारे में और ज्यादा जानकारी के लिए एशियानेट न्यूज (Asianet News) के राजेश कालरा ने राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा से बातचीत की। 

नृपेन्द्र मिश्रा ने बताया कि राम मंदिर का आर्किटेक्ट गुजरात की सोमपुरा फैमिली ने तैयार किया है, जिसे 1992 में ही मंदिर की डिजाइन का काम सौंपा गया था। उन्होंने फैसला किया कि राम मंदिर का निर्माण नागर शैली में होना चाहिए। मंदिर के डिजाइन के लिए कई धर्मगुरुओं, यहां तक कि अयोध्या के संतों से भी राय ली गई। सभी का कहना था कि एक ऐसे मंदिर की डिजाइन तलाश रहे हैं, जो अपने आप में अद्वितीय हो, अद्भुत हो। लेकिन हमने मंदिर निर्माण शैली में धार्मिक आस्था के साथ-साथ टेक्निकल फीचर्स का भी ध्यान रखा है। कई स्तर पर इंजीनियरों द्वारा ऑडिट करने के बाद इस वास्तुशिल्प डिजाइन को 1000 सालों के लिए उपयुक्त माना गया है। इसके साथ ही धर्मगुरुओं ने भी स्वीकार किया कि यह डिजाइन रघुवंश की परंपरा के अनुरूप ही है। 

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क्या है नागर शैली : 
नागर शब्द नगर से बना है। नगर में निर्माण कार्य होने की वजह से इस शैली को नागर शैली कहा गया। 5वीं शताब्दी के बाद भारत के उत्तरी भाग में वास्तुकला की इस शैली का विकास हिमालय से लेकर विंध्य पर्वत तक के क्षेत्रों में हुआ। यह संरचनात्मक मंदिर निर्माण की एक शैली है, जो कि पूरे उत्तर भारत में प्रचलित है। वास्तुशास्त्र के मुताबिक, नागर शैली के मंदिर आधार से लेकर सर्वोच्च शिखर तक चतुष्कोण होते हैं। इस शैली के मंदिरों में दो भवन होते हैं। पहला गर्भगृह और दूसरा मंडप। गर्भगृह ऊंचा होता है, जबकि मंडप उससे छोटा होता है। गर्भ गृह के चारों ओर ढंका हुआ प्रदक्षिणा पथ भी होता है। खास बात ये है कि इस शैली से बनने वाले मंदिरों में लोहे और सीमेंट का उपयोग नहीं किया जाता है। 

नागर शैली में बने कुछ प्रसिद्ध मंदिर : 
नागर शैली में बने कुछ प्रसिद्ध मंदिरों की बात करें तो इनमें ओडिशा का लिंगराज मंदिर और कोणार्क मंदिर इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं। इनके अलावा कंदरिया महादेव मंदिर खजुराहो, जगन्नाथ पुरी मंदिर ओडिशा, दिलवाड़ा के मंदिर राजस्थान प्रमुख हैं। 

गुजरात की सोमपुरा फैमिली है राम मंदिर की शिल्पकार :
गुजरात के अहमदाबाद की सोमपुरा फैमिली 15 पीढ़ियों से मंदिरों के डिजाइन बनाने का काम कर रही है। सोमपुरा फैमिली का कहना है कि वो अब तक देश-विदेश में करीब 131 मंदिरों के डिजाइन बना चुके हैं। अयोध्या के राम मंदिर के डिजाइन पर भी चंद्रकांत सोमपुरा ने 1992 से ही काम शुरू कर दिया था। अब उनके दो बेटे निखिल और आशीष भी इसी परंपरा को आगे ले जा रहे हैं। 

जानें कब आया राम मंदिर का फैसला और कब बना ट्रस्ट : 
9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक मानते हुए मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए अलग से ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया। बाद में 5 फरवरी, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में ट्रस्ट के गठन का ऐलान किया। इस ट्रस्ट का नाम 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' है। 

कौन हैं नृपेन्द्र मिश्रा : 
नृपेन्द्र मिश्रा यूपी काडर के 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं। मूलत: यूपी के देवरिया के रहने वाले नृपेन्द्र मिश्रा की छवि ईमानदार और तेज तर्रार अफसर की रही है। नृपेंद्र मिश्रा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव भी रह चुके हैं। इसके पहले भी वो अलग-अलग मंत्रालयों में कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके हैं। इसके अलावा वो यूपीए सरकार के दौरान ट्राई के चेयरमैन भी थे। जब नृपेंद्र मिश्रा ट्राई के चेयरमैन पद से रिटायर हुए तो पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन (PIF) से जुड़ गए। बाद में राम मंदिर का फैसला आने के बाद सरकार ने उन्हे अहम जिम्मेदारी सौंपते हुए राम मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष बनाया।

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