Exclusive: अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण में क्या रहा सबसे बड़ा चैलेंज? पढ़ें नृपेन्द्र मिश्रा की जुबानी

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण तेज गति से चल रहा है। अगस्त, 2020 से अब तक मंदिर की मजबूत नींव का काम पूरा हो चुका है। दिसंबर, 2023 तक गर्भगृह बनकर तैयार हो जाएगा और तीर्थयात्री रामलला के दर्शन कर सकेंगे।  

नई दिल्ली/अयोध्या। भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या (Ayodhya) में 5 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर (Ram Mandir) की नींव रखी थी। तब से अब तक निरंतर वहां मंदिर निर्माण का काम चल रहा है। कोरोना काल में मंदिर निर्माण की राह में कुछ अड़चनें आईं, लेकिन बावजूद इसके राम मंदिर निर्माण कमेटी को पूरा भरोसा है कि दिसंबर, 2023 तक गर्भगृह बनकर तैयार हो जाएगा और श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर सकेंगे। मंदिर की नींव रखे जाने से लेकर अब तक इसके निर्माण में क्या-क्या चुनौतियां आईं, इसको लेकर एशियानेट न्यूज (Asianet News) के राजेश कालरा ने मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्रा से बातचीत की। 

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मंदिर की नींव बनाना थी सबसे बड़ी चुनौती :  
नृपेन्द्र मिश्रा के मुताबिक, राम मंदिर निर्माण के लिए इस जगह पर सबसे बड़ी चुनौती जो हमारे सामने आई, वो थी मंदिर की नींव (फाउंडेशन) बनाने की। क्योंकि जब हमने यहां मिट्टी (Soil Testing) का परीक्षण किया और जो रिजल्ट सामने आए उससे ये साफ हो गया था कि हमें मंदिर की नींव के लिए करीब 2 एकड़ के इलाके की पूरी मिट्टी खोदनी पड़ेगी। इसके बाद हमने यहां 15 मीटर गहराई यानी 3 मंजिला इमारत के बराबर मिट्टी निकाली। इसके लिए सबसे बड़ी चुनौती ये थी कि खुदाई का काम मानसून से पहले करना था, क्योंकि बरसात में मिट्टी वापस ढह सकती थी। 

खुदाई के बाद दूसरी चुनौती इसे भरने की : 
मंदिर परिसर में 15 मीटर खुदाई के बाद यहां एक बड़े कुएं की तरह बन गया था। अब हमारे सामने दूसरी बड़ी चुनौती इस कुएं को भरने की थी। इसके लिए हमने इंजीनियर सॉइल (मिट्टी) का इस्तेमाल किया। इंजीनियर सॉइल वह मिट्टी होती है, जो भरने के बाद खुद को चट्टान में बदल लेती है। तो इस तरह हमने मंदिर की नींव को एक रॉक फाउंडेशन की तरह बनाया। हमने इंजीनियर सॉइल से नींव को पूरी तरह भरने के बाद इसका परीक्षण किया कि ये कितनी मजबूत है। इसमें कंस्ट्रक्शन एजेंसी एल एंड टी और प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर ने हमारी मदद की।

मंदिर परिसर के अलावा 110 एकड़ में होगा निर्माण : 
बता दें कि श्री राम मंदिर कॉम्प्लेक्स में रामलला के मुख्य मंदिर के अलावा म्यूजियम, गेस्ट हाउस, रिसर्च सेंटर और अन्य सभी प्रकार की मार्डर्न फैसिलिटी भी मिलेंगी। ये पूरा निर्माण करीब 110 एकड़ की जमीन पर हो रहा है, जबकि ट्रस्ट को कुल 67 एकड़ जमीन मुहैया कराई गई है। फिलहाल, दिसंबर, 2023 तक गर्भगृह, जबकि 2024 के आखिर तक राम मंदिर परिसर का काम पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है।  

कौन हैं नृपेन्द्र मिश्रा : 
नृपेन्द्र मिश्रा यूपी काडर के 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं। मूलत: यूपी के देवरिया के रहने वाले नृपेन्द्र मिश्रा की छवि ईमानदार और तेज तर्रार अफसर की रही है। नृपेंद्र मिश्रा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव भी रह चुके हैं। इसके पहले भी वो अलग-अलग मंत्रालयों में कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके हैं। मिश्रा यूपी के मुख्य सचिव भी रह चुके हैं। इसके अलावा वो यूपीए सरकार के दौरान ट्राई के चेयरमैन भी थे। जब नृपेंद्र मिश्रा ट्राई के चेयरमैन पद से रिटायर हुए तो पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन (PIF) से जुड़ गए। बाद में राम मंदिर का फैसला आने के बाद सरकार ने उन्हे अहम जिम्मेदारी सौंपते हुए राम मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष बनाया। 

जानें कब आया राम मंदिर का फैसला और कब बना ट्रस्ट : 
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक मानते हुए फैसला मंदिर के पक्ष में सुनाया। इसके साथ ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए अलग से ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया। इसके बाद 5 फरवरी, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में ट्रस्ट के गठन का ऐलान किया। इस ट्रस्ट का नाम 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' रखा गया। 

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