
Prophet Row Case: पैगंबर मोहम्मद पर नूपुर शर्मा द्वारा किए गए कथित विवादित कमेंट को लेकर (Prophet Row) बीते शुक्रवार यानी जुमे की नमाज के बाद उत्तर प्रदेश के कई शहरों में पत्थरबाजी की घटनाएं हुई थीं। सबसे ज्यादा बवाल प्रयागराज में देखने को मिला था, जहां डीएम समेत कई पुलिस अधिकारी घायल हो गए थे। इस हिंसा का मास्टरमाइंड जावेद पंप है, जिसने पत्थरबाजी की घटना में बच्चों का इस्तेमाल किया। यूपी प्रशासन अब जावेद पंप के घर पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई कर रहा है।
कौन है जावेद पंप :
जावेद पंप प्रयागराज का कथित सोशल एक्टिविस्ट कहा जाता है। हालांकि, उसके मोबाइल से पुलिस को ऐसी कई आपत्तिजनक सामग्री मिली है, जो इस बात की ओर इशारा करती है कि हिंसा फैलाने में जावेद ही मुख्य साजिकर्ता था। बता दें कि जावेद पंप को पुलिस ने प्रयागराज के अटाला इलाके में हुई हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया था। पुलिस ने इस मामले में प्रयागराज से अब तक 70 लोगों को दबोचा है। इन सभी के खिलाफ गैंगस्टर और एनएसए के अलावा और कई धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई है।
कैसे नाम पड़ा जावेद पंप?
प्रयागराज के अटाला निवासी जावेद अहमद का नाम पंप कैसे पड़ा, इसके पीछे भी एक किस्सा है। जावेद पंप वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया का प्रदेश महासचिव है। एक जमाने में वो टुल्लू पंप का काम किया करता था। बस इसी वजह से उसके नाम जावेद के आगे पंप जुड़ गया। धीरे-धीरे यही नाम उसकी पहचान बन गया।
जावेद पंप की बेटी भी हिंसा में शामिल :
प्रयागराज एसएसपी ने बताया कि जावेद पंप की बेटी भी इस हिंसा में शामिल है। वो दिल्ली में पढ़ती है। यूपी पुलिस पंप की बेटी को गिरफ्तार करने के लिए दिल्ली पुलिस से संपर्क कर रही है। बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी के कई शहरों में पत्थरबाजी की घटनाओं के बाद दंगाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जहां-जहां शांति व्यवस्था भंग करने की कोशिश हो रही है, वहां कड़ी कार्रवाई की जाए।
पुलिस के खिलाफ गुरिल्ला वार :
बता दें कि प्रयागराज के अटाला में पुलिस और लोगों पर हुई पत्थरबाजी के बाद प्रशासन फुल एक्शन में है। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजने के बाद अब उनकी क्राइम हिस्ट्री खंगालनी शुरू कर दी है। एडीजी प्रेमप्रकाश के मुताबिक, इस हिंसा के पीछे वामपंथी संगठनों के अलावा PFI, AISA और CAA व NRC आंदोलन को सपोर्ट कर रहे लोगों का हाथ है। संकरी गलियों से पुलिस के जवानों पर पत्थर बरसाए जा रहे थे। इसके लिए बच्चों को आगे कर उनका इस्तेमाल किया गया ताकि पुलिस बेबस हो जाए।
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