ईच वन, सेव वन 2022ः कानून व्यवस्था के साथ अब जान भी बचायेगी यूपीपी, बनेगी फर्स्ट रिस्पॉन्डर

कानून की रखवाली करने वाले पुलिसकर्मियों के कंधों पर नई जिम्मेदारी आ रही है। उन्हें लोगों की तात्कालिक रूप से जान बचाने का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। एडीजी लॉ एण्ड आर्डर प्रशांत कुमार के दिशा-निर्देश पर संचालित यह कार्यक्रम पूरे यूपी में संचालित हो रहा है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 9, 2022 8:17 AM IST

अनुज तिवारी
वाराणसीः
कानून के रखवाले अब जान भी बचायेंगे। अभी तक जिस उत्तर प्रदेश पुलिस के कंधों पर कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी होती थी, उन्ही कंधो पर अब लोगों के प्राण बचाने की जिम्मेदारी भी आने वाली है। इसके लिए पुलिसकर्मियों को देश के जाने माने आर्थाेपेडिक डॉक्टरों की ओर से बकायदा ट्रेनिंग दी जा रही है। 

पूरे प्रदेश में वर्कशॉप का आयोजन
दरअसल, यूपी पुलिस को फर्स्ट रिस्पॉन्डर के रूप में तैयार करने के इस प्रशिक्षण को ‘ईच वन सेव वन 2022’ का नाम दिया गया है। पूरे प्रदेश में इसके लिये एक सप्ताह का वर्कशॉप आयोजित किया जा रहा है। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के पुलिस कमिश्नरेट यातायात सभागार में पुलिस कर्मियों को इस बाबत प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। 

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मेडिकल इमरजेन्सी के लिये तैयार की जा रही खाकी 
इस ट्रेनिंग वर्कशॉप में रोड एक्सिडेंट, आपदा प्रबंधन, हार्ट अटैक एवं अन्य मेडिकल इमरजेन्सी की स्थिति में फर्स्ट रिस्पॉन्डर के रूप में तैयार किया जा रहा है। दिन-रात चौराहों पर मुस्तैद रहने वाली पुलिस किसी भी घटना के दौरन सबसे पहले मौके पर पहुँचती है। यदि पुलिस कर्मियों को प्राथमिक उपचार और सीपीआर देना आता है, तो कई लोगों का अनमोल जीवन बचाया जा सकता है। 

एडीजी लॉ एंड ऑर्डर का दिशानिर्देश 
इस वर्कशॉप को यूपी पुलिस के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार और यूपी आर्थाेपेडिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार की पहल पर संचालित किया जा रहा है। इसी के तहत वाराणसी में पुलिसकर्मियों को ‘ईच वन सेव वन 2022’ की थीम पर बेसिक लाइफ सपोर्ट का डेमो देकर प्रशिक्षित किया गया।

15 हजार पुलिसकर्मियों को दी जा चुकी ट्रेनिंग
डॉ. आशीष कुमार ने बताया कि, ‘प्रदेश भर में कुल 15,000 पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। ये प्रशिक्षण कार्यक्रम आगे भी चलता रहेगा। किसी भी आकस्मिक घटना के बाद 10 मिनट का समय काफी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में घायल को तुरंत फस्ट एड मिल जाए तो बचने की सम्भावना बढ़ जाती है।’ उन्होंने बताया कि, ‘वाराणसी में अबतक 800 पुलिसकर्मियों को डॉ. कर्म राज सिंह और उनकी टीम द्वारा सीपीआर के लिए प्रशिक्षण दिया गया है।’

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