
शाहजहांपुर (Uttar Pradesh) । लॉकडाउन से रोजी रोटी छिन जाने के बाद भी 34 दिन जैसे तैसे गुजार लिए, लेकिन जब लगा कि ये संकट बढ़ता ही जा रहा है तो दिल्ली से बिहार तक 1300 किमी लंबे सफर पर सात मजदूर टोली बनाकर निकल पड़े। सभी शाहजहांपुर जिले की सीमा में पहुंचे थे कि इस टोली के एक सदस्य की मौत हो गई। साथियों का कहना है कि उसे कोई बीमारी भी नहीं थी। लेकिन, हमलोग भूखे थे। कई दिनों तक बिस्किट खाकर पेट भरा। मांगकर भी खाए। लेकिन, जब लगा कि ऐसे दिन कैसे गुजरेगा? इससे बेहतर है कि अपनों के बीच चला जाए। यहां रहे तो बीमारी से मरे या न मरे भूख से जरूर मर जाएंगे। फिलहाल, प्रशासन ने मृतक का सैंपल जांच के लिए भेज दिया है। वहीं, उसके साथियों को क्वारैंटाइन कर दिया है।
यह है पूरा मामला
धर्मवीर (28) बिहार के खगड़िया जिले के खरैता गांव का रहने वाला था। अपने जिले के रहने वाले अन्य मजदूरों के साथ ही दिल्ली में रहकर दिहाड़ी मजदूरी करता था। कभी रिक्शा चलाता था तो कभी राजगीर का काम कर लेता था। लेकिन, लॉकडाउन के बाद इनका रोजगार छिन गया। कुछ पैसे जोड़े थे तो उससे राशन खरीद लिया। यह राशन करीब 10 दिन चला। इसके बाद आसपड़ोस से मांगकर पेट भरा गया।
27 अप्रैल को साइकिल से चलकर
मजबूरन 27 अप्रैल को धर्मवीर के साथ हम छह लोग साइकिल से अपने घर के लिए निकल पड़े। भूखे प्यासे चार दिन साइकिल चलाकर गुरुवार की रात शाहजहांपुर पहुंचे। यहां बरेली मोड़ स्थित एक होटल के बाहर ठहर गए। रास्ते में किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली। शाहजहांपुर आने के बाद एक मंदिर से कुछ खाना मिल गया। शुक्रवार सुबह उनके साथी मजदूर धर्मवीर की हालत बिगड़ गई। उसे मेडिकल कॉलेज ले गए, जहां उसने दम तोड़ दिया।
दिल्ली सरकार पर आरोप, साथियों को किया गया क्वारंटाइन
धर्मवीर के साथी मजदूर रामनिवास उर्फ छोटू ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार से भी कोई मदद नहीं मिली। कई दिनों तक बिस्कुट खाकर पेट भरा। साथियों ने बताया कि उसे कोई बीमारी नहीं थी। दिल्ली से आए मजदूर की मौत की सूचना पर प्रशासन के अधिकारी मेडिकल कॉलेज पहुंचे। मृतक के बारे में साथियों से जानकारी ली। उसका शव पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल अभय कुमार ने बताया कि शव से सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिया गया है। साथी मजदूरों को क्वारंटाइन किया गया है।
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