
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश (uttar pradesh) के विकास की दृष्टि से 7 दिसंबर इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज होने जा रहा है। रविवार सुबह गोरखनाथ मंदिर (gorakhnath temple) में पत्रकार वार्ता में सीएम योगी (CM Yogi) ने कहा कि प्रधानमंत्री पूर्वी उत्तर प्रदेश के उन सपनों को साकार करने आ रहे हैं जिन्हें पिछली सरकारों की नाकामियों ने नकारा सा बना दिया था। पीएम के हाथों तीन बड़े प्रोजेक्ट का उद्घाटन (Inauguration) पूर्वी उत्तर प्रदेश की दृष्टि से अब तक का सबसे बड़ा निवेश (Biggest investment) है। साथ ही मुख्यमंत्री ने बताया किअब इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR)के बीआरडी मेडिकल कॉलेज (BRD medical college) स्थित रीजनल सेंटर आरएमआरसी में हाईटेक लैब्स की व्यवस्था कर दी गई है। इंसेफेलाइटिस, कालाजार, चिकनगुनिया, डेंगू और कोरोना तक के वायरस की जांच और उपचार के लिए इस पर अग्रिम अनुसंधान अब यहीं होने लगेगा। 2018 में इसका शिलान्यास तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री (central helth minister)ने किया था और 7 दिसंबर को पीएम नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) इसका उद्घाटन करेंगे।
600 एकड़ क्षेत्रफल में बने हिंदुस्तान उर्वरक कारखाने होगा शिलान्यास
उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान उर्वरक (Hindustan Fertilizers) के नाम से करीब 600 एकड़ क्षेत्रफल में बने इस कारखाने (factory) को मोदी सात दिसंबर को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इसमें 12 लाख मैट्रिक टन से अधिक यूरिया का उत्पादन किया जाएगा। इससे क्षेत्र के किसानों को तो लाभ होगा, साथ ही साथ रोजगार की संभावनाओं को आगे बढ़ाने में भी इसकी बहुत बड़ी भूमिका होगी। योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी उसी दिन 112 एकड़ क्षेत्र में बने एम्स (AIIMS) का भी उद्घाटन करेंगे। वर्ष 2016 में मोदी ने इसका शिलान्यास किया था, यह एम्स कभी बाढ़ और बीमारी के लिए पहचाने जाने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश में चिकित्सा की नई रोशनी पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि गोरखपुर में वर्ष 1990 में फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का एक खाद कारखाना था, जो बंद हो गया था। उसके बाद आई सरकारों ने इसे फिर से खोलने पर ध्यान नहीं दिया जिसके परिणाम स्वरुप क्षेत्र के किसानों के साथ-साथ सामान्य नागरिकों के जीवन पर भी बुरा असर पड़ा। इसे पुनर्जीवित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में खाद कारखाने का शिलान्यास किया और समय सीमा के अंदर यह कारखाना बनकर तैयार है।
एम्स का भी करेंगे उद्घाटन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Aditiyanath) ने कहा कि बाढ़ व बीमारी ही कभी पूर्वी उत्तर प्रदेश की पहचान बन चुकी थी। इंसेफलाइटिस (encephalitis) के चलते मासूम और समय दम तोड़ देते थे। सरकारों की संवेदना इन गरीबों व और असहायों के प्रति नहीं थी। 40 वर्षों में 50 हजार से अधिक बच्चे इंसेफलाइटिस के चलते अपनी जान गंवा बैठे। पूर्वी उत्तर प्रदेश को बीमारियों से मजबूती से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में एक एम्स भी दिया और यह एम्स गोरखपुर (Gorakhpur) में बनकर तैयार है। यहां लोगों को विश्व स्तरीय विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी। 7 दिसंबर को पीएम मोदी एम्स का भी उद्घाटन करेंगे। सीएम ने बताया कि 1977 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इंसेफलाइटिस के वायरस को पहचाना गया था। बीमारी ना जाने कब से रही होगी। वायरस की पहचान भी यहां नहीं,बल्कि नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी (NIV) पुणे में की गई थी। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक यहां पर इंसेफलाइटिस, डेंगू जैसे वेक्टर बोर्न डिजीज की पहचान की पुख्ता व्यवस्था नहीं थी। सैंपल पुणे भेजे जाते थे। पर, अब इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के बीआरडी मेडिकल कॉलेज स्थित रीजनल सेंटर आरएमआरसी (रीजनल मेडिकल काउंसिल ऑफ रिसर्च) में हाईटेक लैब्स की व्यवस्था कर दी गई है। इंसेफेलाइटिस, कालाजार, चिकनगुनिया, डेंगू और कोरोना तक के वायरस की जांच और उपचार के लिए इस पर अग्रिम अनुसंधान अब यहीं होने लगेगा। 2018 में इसका शिलान्यास तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने किया था और 7 दिसंबर को पीएम मोदी इसका उद्घाटन करेंगे।
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