
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने शपथ लेते ही प्रदेश की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए बैठकों के सहारे विभागीय अफसरों को कड़े निर्देश देते हुए नजर आ रहे हैं। बीते बुधवार को अफसरों के सात हुई उच्चस्तरीय बैठक में सीएम योगी ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर विशेष जोर देने के निर्देश दिए हैं। उन्होने बैठक में निर्देशित करते हुए कहा कि अगले सत्र की शुरुआत से पहले प्रदेश में 'स्कूल चलो अभियान' चलाया जाए और अभियान को वृहद स्वरूप भी दिया जाए। उन्होंने निर्देश दिया कि विभागीय मंत्री से परामर्श कर विभाग इस संबंध में वस्तिृत कार्य योजना तैयार करें और उसका क्रियान्वयन करें।
स्कूल से वंचित न रहे प्रदेश का एक भी छात्र- CM योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्ती का रुख अपनाते हुए कहा कि आने वाले सत्र में एक भी बच्चा स्कूल से वंचित नहीं रहना चाहिए।उन्होने कहा कि कोरोना के कारण बीते दो शैक्षिक सत्र बहुत अधिक प्रभावित रहे। जिसके चलते भौतिक पठन-पाठन नहीं हो सका। इसको देखते हुए स्कूल जाने के लिए बच्चों और अभिभावकों को एक बार फिर जागरूक करने की जरूरत है।
'निर्धारित ड्रेस में ही बच्चों का स्कूल आना किया जाए सुनश्चिति'
सीएम योगी ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता और अभिभावक की सुविधा को देखते हुए बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में बच्चों के ड्रेस आदि के लिए धनराशि सीधे अभिभावक के बैंक खाते में भेजे जाने की व्यवस्था की गई है। जिसके अब सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने विभागीय उच्चाधिकारियों से कहा कि यह सुनश्चिति किया जाए कि बच्चे निर्धारित ड्रेस में ही स्कूल आएं।
'स्कूल चलो अभियान' शुरू करने के पीछे योगी सरकार की खास रणनीति
गौरतलब है कि 2017 के पहले प्रदेश में बहुत से परिषदीय स्कूल बंद होने के कगार पर आ गए थे। बच्चों का स्कूलों से मोह भंग हो रहा था। इसको देखते हुए योगी सरकार ने स्कूल चलो अभियान को जनआंदोलन बनाया। इसका परिणाम यह हुआ कि पांच साल में बच्चों की संख्या लगभग 54 लाख बढ़ गई। योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में प्राथमिक स्कूलों की दशा सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। 1.33 लाख से अधिक स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाया गया। बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास रूम, खेल का मैदान, लाइब्रेरी की व्यवस्था की गई। आपरेशन कायाकल्प के तहत स्कूलों का सौंदर्यीकरण, शुद्ध पेयजल, शौचालय, फर्नीचर आदि की व्यवस्था की जा रही है। ज्यादातर स्कूल इससे संतृप्त हो चुके हैं।
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